पड़ाव/चन्दौली:
मृत्यु भोज समाज के लिए कलंक…
भोजपुर नगरवासियों ने मृत्यु भोज के सामूहिक बहिस्कार का किया एलान। रविवार की सुबह भोजपुर स्थित हनुमान मंदिर प्रांगण में एक गोष्ठी के दौरान ग्रामीणों ने लिया सामूहिक मृत्यु भोज के बहिस्कार का फैसला।
मृत्यु भोज समाज के लिए कलंक” पर्ची बाँटकर लोगों से मृत्यु भोज न करने की अपील।।।


मृतक भोज समाज के लिए कलंकसम्मनित भाई बहनों-भारतीय समाज में फैली यह अंध परम्परा शास्त्र एवं वेद पुराण सम्मत नही है, हमारे यहाँ गीता के छठवे अध्याय के 40 वें श्लोक में कहाँ है हर व्यक्ति की सद्गति और दुर्गति उसके जिते जी किए गये कर्म के अनुसार होता हैं वही राम चरित मानस में भी कर्म प्रधान कहा गया है भाई बहनों यह कौन सा रिति रिवाज जिसके घर का भरण पोषण करने वाला ही नही रहा हम जाकर उसके सहयोगी व दुःख में साथी न बनकर उसके यहाँ रसगुल्ले और गुलाब जामुन खाने जाते है उनके दुःख को और बढाते है जबकी उसके उपर विपत्ति का पहाड़ टुट पड़ा है। जिसके परिवार का भरण-पोषण करने वाला ही नही रहा वह कर्ज में दबेगा और जीवन भर कष्ट भोगेगा । आज समाज को उसके परिवार के जिविका की चिन्ता करनी चाहिए उसके बच्चों की शिक्षा, चिकित्सा की चिन्ता ररनी चाहिए पर वाह रे समाज उसके दरवाजे पर पुड़ी मिठाई खाँ रहा है, जैसे उसके यहाँ कोई उत्सव या विवाह हो रहा हो ।महाभारत में एक कथा आती है जब कृष्ण दुर्योधन को संघी करने के लिए समझाते है और दुर्योधन उनकी बात नही मानता और उनको भोजन करने के लिए कहता है तो भगवान कृष्ण कहते है, आपदा भोज्यानी, प्रीति भोज्यानी वा पुनः जब खिलाने वाले का मन प्रसन्न हो तब भोजन करना चाहिए अन्यथा पाप लगेगा ।यह प्रभु श्री कृष्ण का वचन है- मुनियों ने मृतक भोज को गिद्दभोज कहाँ है |क्या हम गिद्द कहलाने योग्य कार्य करना चाहते है या नही !मृतक भोज बहिष्कार ग्राम सभा – भोजपुर, पड़ाव, चन्दौली
