:🚨 विवादों में धर्मांतरण: क्या लालच देकर गरीब और दलित समुदायों को बनाया जा रहा है ईसाई?
देशभर में ‘बाहरी फंडिंग’ और ‘प्रलोभन’ के माध्यम से अवैध धर्मांतरण के आरोपों ने एक बार फिर राष्ट्रीय बहस छेड़ दी है
।नई दिल्ली/केरल/ओडिशा/उत्तर प्रदेश: देश के कई राज्यों, विशेषकर केरल, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, और बिहार में गरीब और दलित समुदायों के धर्मांतरण को लेकर गंभीर आरोप सामने आए हैं। इन आरोपों के केंद्र में कुछ संगठन और ‘धर्म के ठेकेदार’ हैं,
जिन पर यह आरोप है कि वे आर्थिक तंगी और नासमझी का फायदा उठाकर लोगों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
💰 प्रलोभन और फंडिंग का आरोप
आरोप लगाने वालों का कहना है कि यह एक सुनियोजित सिंडिकेट है जो अवैध विदेशी फंडिंग का उपयोग करता है। इस फंडिंग का इस्तेमाल गरीब परिवारों की आर्थिक समस्याओं को हल करने, चिकित्सा सहायता देने या शिक्षा का प्रलोभन देने के लिए किया जाता है।
> “इन समूहों का तरीका यह है कि वे पहले आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के बीच पैठ बनाते हैं, उनकी मदद करते हैं, और फिर उन्हें यह बताकर धर्मांतरण कराते हैं कि बाइबल सर्वोत्तम प्रभु का ग्रंथ है,” एक सामाजिक कार्यकर्ता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया।>
🔄 धर्मांतरण के बाद ट्रेनिंग
रिपोर्ट्स के अनुसार, एक बार धर्मांतरण हो जाने के बाद, इन नए अनुयायियों को कथित तौर पर ट्रेनिंग दी जाती है। इस ट्रेनिंग का मुख्य उद्देश्य उन्हें अपने ही समुदाय के अन्य लोगों का धर्मांतरण कराने के लिए तैयार करना होता है। आलोचकों का मानना है कि यह एक चेन रिएक्शन बनाने की सुनियोजित रणनीति है, जो कानूनी और नैतिक, दोनों ही दृष्टियों से गलत है।
⚖️ कानूनी पहलू और राज्यों की कार्रवाई
भारत का संविधान हर नागरिक को अपने धर्म का पालन और प्रचार करने की स्वतंत्रता देता है, लेकिन बल, जबरदस्ती, या प्रलोभन के माध्यम से धर्मांतरण कराना कई राज्यों में गैरकानूनी है।
* उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में पहले से ही ‘धर्मांतरण विरोधी कानून’ लागू हैं, जिनका उद्देश्य अवैध धर्मांतरण को रोकना है।
* इन राज्यों की पुलिस और प्रशासन पर बाहरी फंडिंग के स्रोतों और धर्मांतरण की वैधता की जाँच करने का दबाव बढ़ गया है।
🗣️ बहस और अपीलयह पूरा मुद्दा मानवाधिकार बनाम राष्ट्रीय सुरक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता बनाम अवैध फंडिंग की बहस के इर्द-गिर्द घूमता है। इस मामले में जागरूकता और गरीबी उन्मूलन को सबसे महत्वपूर्ण उपाय बताया जा रहा है ताकि कोई भी व्यक्ति केवल पैसों के लालच में अपना धर्म परिवर्तन न करे।
जनता से अपील की जा रही है कि वे ऐसे सिंडिकेट से सतर्क रहें जो आर्थिक कमजोरी का नाजायज फायदा उठाकर समाज में अस्थिरता पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।









