, धरना गांव का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल, आबकारी विभाग की कार्यवाही केवल कागजों तक सीमित धरना गांव का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल,
आबकारी विभाग की कार्यवाही केवल कागजों तक सीमित
चंदौली। जिले में अवैध कारोबारियों पर नकेल कसने के लिए पुलिस कप्तान द्वारा बार-बार सख्त निर्देश जारी किए जाने के बावजूद मुगलसराय कोतवाली क्षेत्र में नाजायज गांजे की खुलेआम बिक्री रुकने का नाम नहीं ले रही है। धरना गांव का एक ताजा वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें बेखौफ होकर गांजा बेचे जाने की तस्वीरें सामने आई हैं। इस वीडियो ने न केवल स्थानीय पुलिस-प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं बल्कि आबकारी विभाग की उदासीनता भी उजागर कर दी है। कागजों पर कार्रवाई, धरातल पर शून्य


स्थानीय लोगों का आरोप है कि आबकारी विभाग की तरफ से आए दिन केवल कागजों पर छापेमारी और कार्रवाई दिखा दी जाती है, जबकि हकीकत में न तो कोई ठोस कदम उठाया जाता है और न ही अवैध कारोबारियों पर अंकुश लगता है। आलम यह है कि विभागीय फाइलों में कार्रवाई का पुलिंदा भरा रहता है लेकिन गांव और कस्बों में नशे का धंधा उसी रफ्तार से चलता रहता है।आबकारी विभाग की चुप्पी सवालों के घेरे मेंजनचर्चा है कि आबकारी विभाग की जिम्मेदार अधिकारी को नाजायज कारोबार की पूरी जानकारी रहती है। बावजूद इसके वह कार्रवाई करने से कतराती हैं। सूत्रों का कहना है कि सिस्टम और सिंडिकेट के गठजोड़ के चलते विभागीय अधिकारी चुप्पी साध लेना ही बेहतर समझती हैं। यही कारण है कि गांजा, शराब और अन्य नशीले पदार्थों का धंधा गांव-गांव और कस्बे-कस्बे तक फैला हुआ है।कप्तान के आदेश को ठेंगा
पुलिस कप्तान द्वारा लगातार निर्देश दिए जाने के बावजूद धरना गांव में गांजे की बिक्री यह दर्शाती है कि निचले स्तर के जिम्मेदार अधिकारी कप्तान के आदेशों को अमल में नहीं ला रहे हैं। यही वजह है कि अवैध धंधा करने वाले गिरोह पुलिस की पकड़ से बाहर होकर मनमानी कर रहे हैं।जनमानस में गहरी नाराजगी धरना गांव का वीडियो सामने आने के बाद आम जनता में गहरी नाराजगी है। लोगों का कहना है कि जब खुलेआम वीडियो में गांजे की बिक्री हो रही है और सोशल मीडिया पर वायरल भी हो रहा है, तो फिर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि नशे के इस अवैध कारोबार से युवाओं का भविष्य अंधकार की ओर जा रहा है।
आगे क्या?
अब देखना यह है कि वायरल वीडियो और जनता की नाराजगी के बाद पुलिस व आबकारी विभाग कोई ठोस कार्रवाई करता है या फिर पहले की तरह इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा। सवाल यह है कि कप्तान के आदेश के बावजूद जब स्थानीय स्तर पर कानून का मजाक उड़ाया जा रहा है तो जिम्मेदारी किसकी तय होगी?
