सपा जिलाध्यक्ष लक्कड़ पहलवान की गुंडई लोहता थाना प्रभारी से कर रहे नंगई

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वाराणसी। जहां एक ओर प्रदेश सरकार महिला सशक्तिकरण के ढोल पीटती है, वहीं दूसरी ओर जमीनी हकीकत कुछ और ही तस्वीर पेश करती है। जनपद में समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष लक्कड़ यादव का दबदबा और उनके इशारों पर पुलिस पर दबाव बनाने की कोशिशों से कानून-व्यवस्था भी चरमराने लगी है। लक्कड़ यादव ने लोहता महिला थानाध्यक्ष के कार्य को अपमानित करने की शर्मनाक कोशिश भी की। लोहता थानाक्षेत्र के पिसौर क्षेत्र में लस्सी की दुकान की आड़ में चल रहे नशे, जुए और देह व्यापार के अड्डे पर जब तेज-तर्रार महिला थानाध्यक्ष निकिता सिंह ने छापेमारी की, तो राजनीतिक रसूख ने सच्चाई को ढंकने का दुस्साहस किया। यह सिर्फ एक दुकान की बात नहीं, यह उस राजनीतिक सड़ांध का प्रतीक है जिसमें अपराध और सत्ता एक ही थाली के चट्टे-बट्टे बन चुके हैं।समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष लक्कड़ यादव वाराणसी के लोहता के पिसौर क्षेत्र में लंबे समय से सत्ता के समानांतर अपनी समानांतर हुकूमत चला रहे हैं। पुलिस प्रशासन पर बेवजह हस्तक्षेप करना, थानों में फोन करवाकर आरोपियों को छुड़वाना, आपराधिक गतिविधियों को ढाल बनाकर ‘राजनीतिक शरण’ देना उसकी कार्यशैली का हिस्सा बन चुका है।लस्सी की दुकान या नशे का अड्डालक्कड़ यादव के रिश्तेदार विजय यादव निवासी पिसौर, लोहता व दीपक यादव निवासी कुंडा खुर्द, चंदौली की लस्सी की दुकान लोहता के पिसौर क्षेत्र में एक कथित तौर पर सामान्य दुकान नजर आती है। सूत्रों की मानें तो दुकान में लस्सी के नाम पर शराब, गांजा जैसे नशे परोसे जाते हैं। इतना ही नहीं, शाम ढलते ही दुकान जुए और सेक्स का अड्डा बन जाती थी।जब महिला थानाध्यक्ष ने दिखाई हिम्मत…लोहता थाने की प्रभारी निकिता सिंह को जब इस बात की जानकारी हुई, तो उन्होंने बिना किसी दबाव की परवाह किए विजय और दीपक की दुकान पर अचानक छापेमारी कर दी। वहां मौजूद नशे में धुत युवकों को दौड़ाया तो वे भाग खड़े हुए। दुकान के भीतर से संदिग्ध सामग्री भी मिली।राजनीतिक दबाव और झूठ का ताना-बानाछापेमारी के कुछ ही देर बाद सपा जिलाध्यक्ष लक्कड़ यादव ने पुलिस पर ‘दुकान में तोड़फोड़’ का आरोप लगाते हुए मीडिया और स्थानीय गुर्गों के जरिए एक सुनियोजित अभियान शुरू किया। विजय और दीपक ने मीडिया के कैमरों के सामने रोते हुए दावा किया कि ‘पुलिस ने दुकान में तोड़फोड़ की है’। जबकि वायरल वीडियो व स्थानीय लोगों की मानें तो दुकान के अंदर रखा सामान दुकान संचालकों ने ही खुद फेंका, ताकि ‘पुलिस प्रताड़ना’ की झूठी कहानी रची जा सके।महिला अफसर का अपमान क्या यही है ‘महिला सशक्तिकरण’प्रदेश की भाजपा सरकार मंच से महिला सशक्तिकरण की बात करती है। जबकि जमीनी हकीकत यह है कि एक ईमानदार महिला पुलिस अफसर को विपक्षी पार्टी के लोग सिर्फ इसलिए बदनाम कर रहे हैं क्योंकि उसने एक ‘नेता के रिश्तेदार’ के अवैध कारोबार पर हाथ डाला।राजनीति के पनाह में पनपता अपराधयह कोई पहली घटना नहीं है। वाराणसी और आसपास के जिलों में अक्सर देखा गया है कि विपक्षी नेताओं द्वारा खुद को ‘जनता का नेता’ बताकर खुलेआम अपराधियों को संरक्षण दिया जाता है। लक्कड़ यादव का यह प्रकरण इस कड़ी में एक और शर्मनाक अध्याय है। सूत्रों के अनुसार, घटना के बाद से लगातार महिला थानाध्यक्ष को ‘ऊपर से फोन’ आने लगे हैं। उनका ट्रांसफर करवाने के प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि ‘ठीक ठाक’ अधिकारी को हटा कर ‘सेटिंग’ वाला अफसर लाया जा सके। यदि ऐसा होता है, तो यह साबित होगा कि कानून के राज की बातें सिर्फ भाषणों तक सीमित रह गई हैं।जनता का आक्रोश अब बस बहुत हुआ…स्थानीय नागरिकों ने मांग की है कि लक्कड़ यादव और उनके रिश्तेदारों की इस अवैध गतिविधि की जांच करवाई जाए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो। यदि यह मामला दबाया गया, तो यह आने वाली पीढ़ियों के लिए यह संदेश होगा कि अपराध करो, नेता से संबंध बनाओ और बच निकलो। इस पूरे घटनाक्रम ने दो बातें उजागर कर दी हैं पहली कि राजनीति और अपराध के गठजोड़ ने अब छोटे दुकानों तक को अपराध के अड्डों में बदल दिया है, और दूसरी कि यदि कोई महिला अधिकारी इसके खिलाफ खड़ी होती है, तो उसे बदनाम करने की पूरी साजिश रची जाती है। लक्कड़ यादव जैसे नेता जो अपने स्वार्थ के लिए कानून, समाज और महिला गरिमा तक को कुचलने से नहीं चूकते।

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