वर्तनी प्रदर्शन में लखनऊ नगर के निजी सीबीएसई विद्यालयों के छात्रों ने किया बेहतर प्रदर्शन वहीं सरकारी विद्यालयों के छात्र रहे औसत से नीचे : पूजा मिश्रा

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————————————————————-गाजीपुर। स्नातकोत्तर महाविद्यालय, गाजीपुर में पूर्व शोध प्रबन्ध प्रस्तुत संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी महाविद्यालय के अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ तथा विभागीय शोध समिति के तत्वावधान में महाविद्यालय के सेमिनार हाल में सम्पन्न हुई, जिसमें महाविद्यालय के प्राध्यापक, शोधार्थी व छात्र- छात्राएं उपस्थित रहे। उक्त संगोष्ठी में अध्यापक शिक्षा विभाग (शिक्षा संकाय) की शोधार्थिनी पूजा मिश्रा ने अपने शोध प्रबंध शीर्षक “द कम्पेरेटिव स्टडी ऑफ स्पेलिंग परफॉर्मेंस अमंग स्टूडेंट्स ऑफ प्राइवेट एंड गवर्नमेंट स्कूल इन लखनऊ” नामक विषय पर शोध प्रबन्ध एवं उसकी विषय वस्तु को प्रस्तुत करते हुए कहा कि प्रस्तुत शोध अध्ययन में लखनऊ नगर के सरकारी एवं निजी सीबीएसई विद्यालयों के प्राथमिक स्तर के विद्यार्थियों के बीच वर्तनी प्रदर्शन का तुलनात्मक अध्ययन किया है। इस अध्ययन हेतु कक्षा 3 और कक्षा 4 के 486 छात्रों का सरल यादृच्छिक चयन विधि द्वारा चयन किया गया है, जिनमे 237 सरकारी और 249 निजी विद्यालयों के छात्र शामिल है। अध्ययन के निष्कर्ष से यह पता चलता है कि निजी स्कूलों के छात्र सरकारी स्कूलों की अपेक्षा वर्तनी में बेहतर प्रदर्शन करते हैं। निजी स्कूलों के 43.55 प्रतिशत छात्रों ने औसत से अधिक अंक प्राप्त किए और 19.76 प्रतिशत छात्रों ने उच्च स्तर का प्रदर्शन किया। वहीं सरकारी स्कूलों के मात्र 6.33 प्रतिशत छात्रों ने ही औसत से अधिक प्रदर्शन किया तथा 51.47 प्रतिशत छात्र औसत से नीचे रह गए । अध्ययन के अनुसार सरकारी या निजी स्कूलों में लिंग के आधार पर वर्तनी प्रदर्शन में कोई महत्वपूर्ण अंतर नहीं पाया गया अर्थात लड़के व लड़कियाँ वर्तनी प्रदर्शन में समान रूप से सफल रहे। यह भी पाया गया कि निजी स्कूल के छात्र हर स्थिति में बेहतर रहे। सरकारी और निजी स्कूल के छात्रों के प्रदर्शन में अंतर के मुख्य कारण शिक्षकों और परिवार द्वारा उचित प्रोत्साहन की कमी एवं स्कूलों में पर्याप्त और नियमित शैक्षिक सुविधाओं के अभाव रहे है। शैक्षिक दृष्टिकोण से यह अध्ययन दर्शाता है कि वर्तनी शिक्षण को पाठ्यक्रम में बेहतर स्थान देना चाहिए। नीति-निर्माताओं को नियमित आंकड़े संग्रह और विश्लेषण में ध्यान देना चाहिए। सरकारी स्कूलों के प्रशासकों को शिक्षकों के लिए उचित संसाधन और प्रशिक्षण प्रदान करना चाहिए। शिक्षकों को प्रभावी शैक्षिक रणनीतियाँ अपनानी चाहिए और बच्चों के लिए समृद्ध माहौल बनाना चाहिए। छात्रों को उनकी विकासात्मक स्तर के अनुसार दिशा निर्देश और अवसर दिए जाने चाहिए। भविष्य के अध्ययन सीबीएसई के अलावा अन्य बोर्ड, अन्य क्षेत्रों व उच्च स्तरों पर भी किए जा सकते हैं। नतीजन, इस शोध से यह स्पष्ट होता है कि विद्यालय के प्रकार का वर्तनी प्रदर्शन पर सीधा प्रभाव पड़ता है, लिंग का नहीं। सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता, प्रशिक्षण और संसाधनों में सुधार करने से प्रदर्शन में अंतर को कम किया जा सकता है तथा साक्षरता को बेहतर बनाया जा सकता है। प्रस्तुतिकरण के बाद विभागीय शोध समिति, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ व प्राध्यापकों तथा शोध छात्र-छात्राओं द्वारा शोध पर विभिन्न प्रकार के प्रश्न पूछे गए जिनका शोधार्थिनी पूजा मिश्रा ने संतोषपूर्ण एवं उचित उत्तर दिया। तत्पश्चात समिति एवं महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफे० (डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय ने शोध प्रबंध को विश्वविद्यालय में जमा करने की संस्तुति प्रदान किया। इस संगोष्ठी में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफे० (डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ के संयोजक प्रोफे० (डॉ०) जी० सिंह, शोध निर्देशक डॉ0 शैलेन्द्र सिंह, डीएसडब्ल्यू प्रोफे०(डॉ०) संजय चतुर्वेदी, डॉ0 अरविंद कुमार उपाध्याय, प्रोफे0 विनय कुमार डुबे, डॉ0 लवजी सिंह, प्रोफे0 सुजीत कुमार सिंह, प्रोफे0 वी0के0 सिंह, डॉ0 इंदीवर रत्न पाठक, डॉ0 अरुण कुमार सिंह, डॉ० रामदुलारे, डॉ० अशोक कुमार, डॉ० योगेश कुमार, प्रदीप सिंह एवं महाविद्यालय के प्राध्यापकगण तथा शोध छात्र छात्राएं आदि उपस्थित रहे। अंत में डॉ० अरविंद कुमार उपाध्याय ने सभी का आभार व्यक्त किया तथा संचालन अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ के संयोजक प्रोफे०(डॉ०) जी० सिंह ने किया।

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