गंगा में 42 दिनों से नाव संचालन बंद होने से नाविक समाज में आक्रोश

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रिपोर्ट पवन जायसवाल

वाराणसी नौका संचालन बंद होने से गंगा घाटों पर अपनी आजीविका चलाने वाले नाविक समाज की समस्या अब गहराती जा रही है। दशाश्वमेध घाट पर मां गंगा निषादराज सेवा न्यास की ओर से आयोजित बैठक में नाविक समाज के सैकड़ों लोग एकत्र हुए और प्रशासनिक निर्णयों के खिलाफ जोरदार विरोध जताया। नाविकों ने प्रशासन के रवैये के खिलाफ नारेबाजी की। कहा कि 42 दिन बीत जाने के बाद भी उन्हें नाव संचालन की अनुमति नहीं मिली है जिसके चलते उनके परिवार भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं। नाविकों ने पत्रक सौंपकर जल्द से जल्द नौका संचालन की अनुमति प्रदान करने की मांग की बैठक में अध्यक्ष प्रमोद माझी और संगठन मंत्री शंभू साहनी सहित कई वक्ताओं ने अपनी पीड़ा व्यक्त की। प्रमोद माझी ने कहा कि गंगा का जलस्तर जब बढ़ रहा था, तो प्रशासन द्वारा नाविकों को नोटिस जारी कर गंगा में नाव संचालन और नाव से गंगा आरती दिखाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है। 42 दिन बीत गए, लेकिन नौका संचालन को लेकर “अब तक कोई आदेश नहीं आया कि हम पर्यटकों को गंगा आरती दिखा सकते हैं या नौका विहार करा सकते हैं। इससे नाविक समाज की जीविका पूरी तरह ठप हो गई है शंभू साहनी ने आरोप लगाया कि गंगा आरती और नौका विहार का संचालन रोककर निषाद समाज को संकट में डाल दिया गया है, जबकि बड़े पूंजीपतियों के क्रूज और नावों को खुली छूट दी जा रही है। उन्होंने कहा, निषाद समाज के अस्तित्व पर ही संकट आ गया है। नाव संचालन ठप होने से हमसभी आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। इससे हमारे बच्चों की पढ़ाई, बुजुर्गों की दवाई और परिवार का भरण-पोषण असंभव हो गया है।” नाविकों ने कहा कि प्रशासन द्वारा लगाए गए प्रतिबंध से उनकी रोजी-रोटी पूरी तरह छिन गई है। नाव संचालन बंद होने से हजारों परिवार बेरोजगार हो गए हैं नाविक समाज का कहना है कि पिछले डेढ़ महीने से अधिक समय से वे अपने घर-परिवार चलाने के लिए कर्ज लेने और उधार पर जीने को मजबूर हैं। बैठक में मौजूद लोगों ने सामूहिक रूप से प्रशासन से गुहार लगाई कि नाव संचालन की अनुमति तत्काल दी जाए ताकि उनका जीवन पटरी पर लौट सके

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