रिपोर्ट विकास तिवारी
मिर्जापुर। जनपद के मशहूर शायर जनाब ताबिश इकरामी की याद में रविवार को इम्तियाज अहमद गुमनाम के तरकापुर स्थित आवास पर गोष्ठी का आयोजन किया गया,जिसमें अनेक वक्ताओं ने उनकी शायरी के साथ उनके व्यक्तित्व पर चर्चा की। वक्ताओं ने उनके साथ रहे क्षणों को याद करते हुए उन्हें एक नेक दिल इंसान कहा। गोष्ठी के अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार गणेश गम्भीर ने कहा कि वह एक बड़े शायर थे। देश के जाने माने शायर हुरमतुल इकराम के वे शागिर्द थे। उर्दू शायरी करने वालों को वे इसकी बारीकियों को समझ कर लिखने की सलाह देते थे। वरिष्ठ साहित्यकार भोलानाथ कुशवाहा ने कहा कि एक अच्छा इंसान और मिलनसार शायर हमारे बीच से चला गया। सैयद कासिम अली ने उनके साथ की कई रोचक घटनाओं का जिक्र करते सुनाया, “अदबो हुनर की शान बढ़ा कर चले गये। फन जिसके थे माहिर सबको सिखा कर चले गये। गीत गजल की दुनिया में सबके थे करीब। उर्दू अदब में नाम ताबिश अपना कमा कर चले गये। मुहिब मिर्जापुरी ने सुनाया- ” अहले सुखन की बज्म सजा कर चला गया। इल्मो अदब की समा जला कर चला गया। अनवर असद सेराज और शाहिद के साथ साथ उर्दू का एक और सुखनवर चला गया।
इसके अलावा दानिश जैदी ने बताया कि वे उनके पिता से मिलने आया करते थे। जनता साप्ताहिक के संपादक अता उल्लाह सिद्दीकी ने कहा कि उनकी गजलें जनता में हमेशा छपती थीं। गुमनाम मिर्जापुरी ने कहा कि वह उनके घर अक्सर आया जाया करते थे। उनसे काफी कुछ सीखने को मिला।आनन्द केसरी ने कहा कि उनके घर की कवि गोष्ठियों में ताबिश साहब का आना होता था।शहजाद मिर्जापुरी ने बताया कि उनसे मैंने शायरी सीखा। इरफान कुरैशी ने ताबिश साहब की गजल सुनाया। डा रहमानी, नन्दलाल सिंह चंचल, अश्क रज्जाकी, मा हुसैन अहमद आदि ने भी अपने विचार रखे। गोष्ठी का संचालन वरिष्ठ शायर मुहिब मिर्जापुरी ने किया। अन्त में दिवंगत आत्मा की शान्ति के लिए दो मिनट मौन रह कर प्रार्थना की गयी।
