आज GIC मीरजापुर के मैदान पर चल रहे *अलविदा तनाव * कार्यक्रम के आठवे दिन ” महा विजय उत्सव ” मनाया गया, जिसमे प्रख्यात तनाव मुक्ति विशेषग्य ब्र कु पूनम दीदी जी ने समय के महत्व के विषय में विस्तार से बताया।
रिपोर्ट विकास तिवारी
आज के कार्यक्रम की शुरुआत ” धन्यवाद प्रभु धन्यवाद तेरा ” गीत से हुई।आज सृष्टि चक्र का अद्भुत रहस्य भी समझाया गया।आज दीदी जी ने परम पिता द्वारा दिए गए रहस्य को समझाया। सतयुग के बाद त्रेतायुग, उसके बाद द्वापरयुग और फिर कलियुग आता है। सतयुग में सभी आत्माए देव स्वरूप सोलह कला संपन्न थी, त्रेता युग में भी देव आत्माए थी लेकिन उनकी कलाएँ घट कर चौदह हो गयी, फिर द्वापर युग में विभिन्न धर्म पिता आकर अपने अपने मतानुसार विभिन्न धर्म की स्थापना की। सतयुग, त्रेता में एक धर्म, एक राज्य, एक मत था, किंतु द्वापर से मत मतांतर उत्पन्न होने लगे, फिर कलियुग में आत्माए पतित, कला विहीन हो जाती हैं। प्रत्येक युग 1250 वर्ष का और पूरा एक कल्प 5000 वर्ष का होता है। यह सृष्टि चक्र अनवरत चलता रहता है।यह कल्प परिवर्तन अनगिनत बार आ चुका है। सतयुग को स्वर्ण युग श्री लक्ष्मी श्री नारायण का राज्य था,एक धर्म था देवी देवता धर्म, त्रेतायुग को रजत युग कहा जाता है, द्वापर को कांस्य युग और कलियुग को लौह युग कहा गया। इसी कलियुग के लास्ट में एक सौ वर्ष का युग संगम युग आता है, जब स्वयं परम पिता शिव बाबा एक साधारण मनुष्य तन में प्रवेश कर कल्प परिवर्तन करते हैं और पुनः सतयुग की स्थापना करते हैं। सतयुग में आत्मा के 8 जन्म होते हैं और आयु 150 वर्ष होती है। त्रेता युग में आत्मा के 12 जन्म और आयु लगभग 100 वर्ष होती है।त्रेता युग तक धरती की कुल जन संख्या 33 करोड़ हो जाती है। त्रेता में श्री राम, देवी सीता का राज्य होता है। अब आया द्वापरयुग जिसमे कलाएँ घट कर 8 हो जाती हैं और जन्म 21 होते हैं, आयु भी घट जाती है।द्वापर में हमारे जीवन में पंच विकारों का आगमन होता है, और इनको दूर करने के लिए भक्ति प्रारंभ हुई। प्रारंभ में ज्योतिरलिंग की भक्ति हुई, फिर अनेक देवी देवताओं का गायन पूजन होने लगा।अनेक धर्म पिताओं का आगमन हुआ।इस्लाम धर्म, बौद्ध धर्म, ईसाई धर्म, सिख धर्म की स्थापना हुई।अब आया कलियुग जिसमे आत्माए कला विहीन हो गयी और आत्मा के 42 जन्म होते हैं।जनसंख्या बढ़ कर 800 करोड़ हो गयी। इसी समय परमात्मा का दिव्य अवतरण प्रजापिता ब्रह्मा के साधारण तन में होता है, जो ब्रह्मा कुमारी दिव्य परिवार के द्वारा पुनः सतयुग की स्थापना करते हैं, इसे संगम युग कहा जाता है। आज एक अनोखा यज्ञ भी कराया गया जिसमे लोगों ने अपनी चिंताओ, बीमारियों, बुराइयों का हवन किया। आज अतिथि के रूप में जनपद के वरिष्ठ पत्रकार शिव शंकर उपाध्याय, कृष्ण गोपाल वर्मा, राकेश द्विवेदी, KBPG कॉलेज के प्राचार्य, वरिष्ठ चिकित्सक डा ओ पी बरनवाल, राजयोगी ब्र कु दीपेंद्र, राजयोगी ब्र कु पंकज ने दीप जला कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। प्ले वे स्कूल के बच्चों ने नृत्य प्रस्तुत किया। कार्य क्रम संचालन ब्र कु महिमा बहन ने किया। कल इस शिविर का अंतिम दिन है।
