सनातन धर्म संस्कृति एवं भारतीय ज्ञान परंपरा के माध्यम से ही हम वैश्विक पटल पर स्थापित होंगे– प्रो रामपूजन पाण्डेय—

रिपोर्ट रोहित सेठ वाराणसी

सत्य को ही नारायण के रूप में पूजना सत्यनारायण की पूजा है.
सत् नारायण भगवान की कथा का उल्लेख स्कंद पुराण के विवाह खंड में किया गया है. ऐसा माना जाता है कि ये कथा करने वाले व्यक्ति के सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं. साथ ही यह कथा अनेकों प्रकार से अपनी उपयोगिता भी सिद्ध करती है. भगवान सत्य नारायण की कथा से समाज के सभी वर्ग को सत्य की शिक्षा मिलती है. पूरे भारत में इस कथा को पूर्ण भक्ति भाव से करने वाले अनगिनत लोग हैं. जो इस कथा और व्रत के नियमों का पालन करते हैं उनका कल्याण स्वत: होता है।सत्य नारायण भगवान की व्रत कथा जनकल्याण हेतु की जा सकती है. ऐसा माना जाता है कि सत्य नारायण भगवान की कथा भगवान विष्णु के सत्य स्वरूप की कथा है।
उक्त विचार सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के दीन दयाल कौशल विकास केंद्र के अंतर्गत विकसित भारत@ 2047 के तत्वावधान में आयोजित सत्य नारायण कथा के दौरान बतौर अध्यक्ष प्रो रामपूजन पाण्डेय ने व्यक्त किया।
सत्यनारायण पूजन जैसे पद्धति रोजगारपरक है।सनातन धर्म संस्कृति एवं भारतीय ज्ञान परंपरा के माध्यम से ही हम वैश्विक पटल पर स्थापित होंगे उसी के आधार पर
विकसित भारत@2047 का राह आसान होगा।
दीन दलाल उपाध्याय कौशल विकास केंद्र की निदेशक प्रो विधु द्विवेदी ने कहा कि आज कौशल विकास के विद्यार्थियों के द्वारा सत्यनारायण भगवान की कथा विधि-विधान से प्रायोगिक के रूप में करके एक अभ्यास और ज्ञान का संचार विद्यार्थियों में हो रहा है।
ज्योतिष विभागाध्यक्ष प्रो अमित कुमार शुक्ल ने कहा कि भारतीय संस्कृति एवं भारतीयता का संवाहक यह संस्था ऐसे पूजन कराके विद्यार्थियों में वैदिक ज्ञान और राष्ट्रीयता का प्रवाह होता है।
सत्यनारायण भगवान पूजन विद्यार्थियों ने किया–
कौशल विकास केंद्र के विद्यार्थियों ने प्रायोगिक ज्ञान के साथ साथ सनातन धर्म संस्कृति के प्रसार को बढ़ाया।
उपस्थित ज़न–
प्रो विधु द्विवेदी,प्रो जितेन्द्र कुमार, प्रो हीरक कांत चक्रवर्ती, प्रो महेंद्र पाण्डेय,,प्रो विजय कुमार पाण्डेय, प्रो राजनाथ, प्रो अमित कुमार शुक्ल, प्रो विद्या, डॉ विशाखा शुक्ला,डॉ अखिलेश कुमार एवं विद्यार्थियों ने

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