अमेरिका ने 27 अगस्त से लगाया 50% भारी टैरिफ, भारत के श्रम-प्रधान क्षेत्रों पर होगा बड़ा असर, जानें पूरी बात

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अमेरिकी टैरिफ लागू होने के बाद प्रतिस्पर्धी देशों जैसे चीन, वियतनाम, मेक्सिको, तुर्की, पाकिस्तान, नेपाल, ग्वाटेमाला और केन्या इस अवसर का फायदा उठा सकते हैं, जिससे भारत लंबे समय तक अमेरिकी बाजार से दूर रह सकता है।

अमेरिका 27 अगस्त 2025 से भारत से आयातित श्रम प्रधान वस्तुओं जैसे झींगा, वस्त्र, चमड़ा और आभूषण पर 50 प्रतिशत भारी टैरिफ लागू करने जा रहा है। इस कदम से भारत के अमेरिका को होने वाले करीब आधे निर्यात पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। भारत और अमेरिका के बीच कुल USD 86 अरब के व्यापार में से ज्यादातर श्रम-प्रधान वस्तुओं पर यह टैरिफ लागू होगा। हालांकि, फार्मास्यूटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और पेट्रोलियम जैसे कुछ महत्वपूर्ण उत्पाद इस टैरिफ से मुक्त रहेंगे। पीटीआई की खबर के मुताबिक, यूएस सरकार की आधिकारिक घोषणा के अनुसार, यह नया टैरिफ 27 अगस्त को आधी रात 12:01 बजे (ईस्टर्न डेलाइट टाइम) से प्रभावी होगा। फिलहाल भारत से अमेरिका भेजे जाने वाले माल पर 25 प्रतिशत टैरिफ पहले से है, जिसमें अब रूस से कच्चे तेल और सैन्य उपकरण खरीदने पर लगे प्रतिबंध के तहत अतिरिक्त 25 प्रतिशत जुड़ जाएगा।

जुलाई में भारत के अमेरिका निर्यात में करीब 20% की बढ़ोतरी

खबर के मुताबिक, निर्यातक इस भारी टैरिफ को “प्रतिबंधात्मक” बता रहे हैं और चिंता जता रहे हैं कि इससे भारत के उत्पाद अमेरिकी बाजार में अपनी प्रतिस्पर्धा खो देंगे। वहीं, बांग्लादेश, वियतनाम, श्रीलंका, कंबोडिया और इंडोनेशिया जैसे देश कम टैरिफ का लाभ उठाकर बाजार में बढ़त बनाएंगे। टैरिफ बढ़ने से पहले कुछ कंपनियां तेजी से माल अमेरिका भेज रही हैं, जिसका असर जुलाई के व्यापार आंकड़ों में देखा गया। जुलाई में भारत के अमेरिका निर्यात में करीब 20% की बढ़ोतरी हुई, जबकि आयात में भी करीब 14% की वृद्धि हुई है। अप्रैल से जुलाई तक निर्यात 21.6% बढ़ा।

रोकना पड़ सकता है उत्पादन 

चमड़ा और फुटवियर उद्योग के एक अधिकारी ने कहा कि इस टैरिफ के कारण कंपनियों को कर्मचारियों की छंटनी करनी पड़ सकती है और उत्पादन रोकना पड़ सकता है, जब तक भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर स्पष्टता नहीं आती। यह समझौता दोनों देशों के बीच व्यापार को USD 191 अरब से बढ़ाकर USD 500 अरब करने का लक्ष्य रखता है। ज्वेलरी उद्योग के एक निर्यातक ने बताया कि अमेरिका सबसे बड़ा बाजार होने के कारण रोजगार कटौती अनिवार्य होगी। उन्होंने कहा कि इस चुनौती से निपटने के लिए दीर्घकालिक निर्यात रणनीति, ब्याज सब्सिडी, कारोबार में आसानी, GST की त्वरित वापसी और SEZ कानून में सुधार जरूरी हैं।

वस्त्र क्षेत्र इस टैरिफ से सबसे अधिक प्रभावित होगा

Apparel Export Promotion Council के महासचिव मिथिलेश्वर ठाकुर ने कहा कि वस्त्र क्षेत्र, जिसका निर्यात USD 10.3 अरब का है, इस टैरिफ से सबसे अधिक प्रभावित होगा। उन्होंने बताया कि उद्योग पहले से लागू 25% टैरिफ को सह सकता था, लेकिन अतिरिक्त 25% ने भारतीय वस्त्र उद्योग को अमेरिकी बाजार से लगभग बाहर कर दिया है। आर्थिक थिंक टैंक GTRI के मुताबिक, अमेरिका की यह नई टैरिफ नीति भारत के USD 86.5 अरब के निर्यात का 66% हिस्सा प्रभावित करेगी। USD 60.2 अरब के श्रम-सघन उत्पादों पर 50% टैरिफ लागू होगा, जिनमें वस्त्र, आभूषण और झींगा शामिल हैं।

लाखों रोजगार खतरे में पड़ जाएंगे

GTRI के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि यह भारत के लिए एक बड़ा व्यापार झटका है, जो श्रम प्रधान क्षेत्रों की प्रतिस्पर्धा और रोजगार दोनों पर भारी असर डालेगा। 2025-26 में अमेरिका को भारत का निर्यात करीब USD 49.6 अरब रह सकता है। उन्होंने बताया कि जहां 30% निर्यात पर कोई टैरिफ नहीं लगेगा, वहीं 4% पर 25% और 66% पर 50% टैरिफ लागू होगा। इन क्षेत्रों का निर्यात 70% तक घट सकता है, जिससे कुल निर्यात में 43% की कमी आएगी और लाखों रोजगार खतरे में पड़ जाएंगे। यह भारत की अमेरिकी बाजार में पैठ को कमजोर करेगा और वैश्विक सप्लाई चेन में भागीदारी पर असर डालेगा।

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