मिर्ज़ापुर: भ्रष्टाचार के घेरे में औषधि विभाग, दवा दुकानों के नियमों की अनदेखी
रिपोर्ट विकास तिवारी
मानक पूरे न करने वाली दवा दुकानों पर ‘मेहरबान’ औषधि विभागमिर्जापुर। जिले में दवा की दुकानों (फार्मेसी) को लाइसेंस देने के बाद औषधि विभाग ने जैसे आँखें मूंद ली हैं। विभाग द्वारा निर्धारित मानकों का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है, लेकिन अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे। यह स्थिति विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की ओर स्पष्ट इशारा करती है।
🏬 मानकों की अनदेखी और भ्रष्टाचार की बूदवा विक्रेताओं को लाइसेंस तभी मिलता है जब उनकी दुकान 10 बाई 10 फीट के निर्धारित मानक को पूरा करती हो, मगर जिले के लगभग तीन हजार से अधिक दवा संचालक इन मानकों को धड़ल्ले से तोड़ रहे हैं।नियमों की धज्जियां: कई दुकानदार तो सरकारी डॉक्टरों के नर्सिंग होम में भी दवा आपूर्ति का काम कर रहे हैं, जो खुद लाइसेंस के मूल आकार के नियम का पालन नहीं कर रहे।विभाग की चुप्पी: लाइसेंस जारी होने के बाद औषधि विभाग इन दुकानों का निरीक्षण करना तक उचित नहीं समझता।एक ओर जहाँ केंद्र और राज्य सरकारें भ्रष्टाचार मुक्त शासन की बात करती हैं, वहीं दूसरी ओर उनके ही अधिकारी इन नियमों और आदेशों की खुलेआम अनदेखी कर रहे हैं। यह गंभीर प्रश्न उठाता है कि दवा जैसे संवेदनशील क्षेत्र में भी भ्रष्टाचार ने किस स्तर तक अपनी जड़ें जमा ली हैं, जिससे आम जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ हो रहा है।









