महापुरुषों का वोट के लिए राजनीतिकरण दुर्भाग्यपूर्ण: अशोक विश्वकर्मा

दुलहीपुर/चन्दौली:

 

पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह की पुण्यतिथि पर हुआ स्वाभिमान सम्मेलन, महापुरुषों का वोट के लिए राजनीतिकरण दुर्भाग्यपूर्ण: अशोक विश्वकर्मा

ऑल इंडिया यूनाइटेड विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा के तत्वाधान में भारत के सातवें राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के पुण्य स्मृति में केंद्रीय कार्यालय दुलहीपुर स्थित फ्लोरेंस स्कूल में स्वाभिमान सम्मेलन संपन्न हुआ। सम्मेलन को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक कुमार विश्वकर्मा ने कहा 25 दिसंबर आध्यात्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण दिवस है। जिसका विश्वकर्मा समाज से गहरा संबंध है। इस दिन भगवान विश्वकर्मा के दामाद सूर्य देव कर्क रेखा से मकर रेखा की तरफ उत्तरायण से दक्षिणायन की ओर गति करते हैं,जिससे दिन की समयावधि बढ़ जाती है। जो बड़ा दिन के नाम से जाना जाता है।आज ही के दिन जेरूसलम के बेथलहम नगर में जोसेफ बढ़ई के यहां ईसा मसीह का जन्म हुआ, जिसकी खुशियां क्रिसमस के रूप में पूरी दुनियाँ में मनाई जाती है।वहीं दूसरी ओर भारतीय स्वाधीनता संग्राम के शेर भारत के सातवें राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह का निधन हुआ। उन्होंने समाज के कुल गौरव और स्वाभिमान के प्रतीक महापुरुषों को नमन व श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा ईसा मसीह ने जहां एक ओर संसार में मानवता, एकता और प्रेम का संदेश देते हुए कहा पापों से तौबा व पश्चाताप करो सब परमपिता परमेश्वर की संतान है, परमेश्वर पर विश्वास करो तभी उध्दार पा सकते हो, अपना आत्म सम्मान जगाओ और सब का आदर करो। वही ज्ञानी जैल सिंह ने भारत की स्वतंत्रता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए अनेको बार जेल यात्रा की तथा कठोर यातनाएं सहते हुए अपने वास्तविक नाम जरनैल सिंह से जेल का शेर अर्थात जेल सिंह का पर्याय बन गए, और इसी नाम से विख्यात हो गए। उन्होंने बताया कि ज्ञानी जी राष्ट्रपति पद को सुशोभित करते हुए अनेक ऐतिहासिक फैसले लिए जो सदैव याद किए जाएंगे। वह गुरु ग्रंथ साहब में अटूट निष्ठा रखने वाले अत्यंत धार्मिक संस्कारों वाले हाजिर जवाब व्यक्ति थे। उन्होंने कहा समाज के महापुरुषों के नाम पर कुछ लोग राजनीतिक स्वार्थ लाभ के लिए समाज को बांटने और कमजोर करने का लगातार कुत्सित प्रयास कर रहे हैं। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि वोट के लिए राजनीतिक पार्टियां महापुरुषों का राजनीतिकरण करके समाज को धोखा दे रही हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार में निजीकरण के चलते देश में नौकरियों के अवसर समाप्त हो रहे हैं। इसलिए समाज को स्वरोजगार और औद्योगिक धंधों की ओर अग्रसर होने की जरूरत है। स्वरोजगार और राजनीतिक भागीदारी के लिए समाज को एकजुट होने का आह्वान किया। कार्यक्रम के आरंभ में अतिथियों ने भगवान विश्वकर्मा, प्रभु यीशु मसीह व ज्ञानी जैल सिंह के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलित कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सेवानिवृत्ति जिला जज श्री पारसनाथ विश्वकर्मा एवं विशिष्ट अतिथि लोक जन सोशलिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ वीरेंद्र कुमार विश्वकर्मा थे। अध्यक्षता दीनदयाल विश्वकर्मा एवं संचालन लोचन विश्वकर्मा ने किया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से महासभा के मिर्जापुर जिला अध्यक्ष डॉ प्रमोद कुमार विश्वकर्मा, भदोही जिला अध्यक्ष चंद्रशेखर विश्वकर्मा, वाराणसी जिला अध्यक्ष नंदलाल विश्वकर्मा, चंदौली जिला अध्यक्ष दिनेश विश्वकर्मा (पत्रकार) सतनाम सिंह (अध्यक्ष, लोकतंत्र सेनानी) श्याम विश्वकर्मा, रामकिशुन विश्वकर्मा, सुरेश विश्वकर्मा, महेंद्र विश्वकर्मा पड़ाव, महेंद्र विश्वकर्मा लल्लापुरा, छबीले लाल विश्वकर्मा, दिनेश विश्वकर्मा एडवोकेट, प्रेम विश्वकर्मा कवि, विजय लक्ष्मी विश्वकर्मा, दिनेश विश्वकर्मा दीघवट, मोहन विश्वकर्मा, चंद्रिका विश्वकर्मा, गोविंद विश्वकर्मा, मनोज विश्वकर्मा, राजू विश्वकर्मा, पंडित रामप्रवेश विश्वकर्मा, शमशाद भाई, डॉ सुजात रामनगरी, विनोद सेठ, मुराहु विश्वकर्मा, चंदन विश्वकर्मा, सियाराम विश्वकर्मा, प्रमोद विश्वकर्मा, मुनेश्वर विश्वकर्मा, राजेंद्र विश्वकर्मा, ईश्वर दयाल विश्वकर्मा, केदार विश्वकर्मा, शिवपूजन विश्वकर्मा, बालमुकुंद विश्वकर्मा, धुकेंद्र शर्मा, रामसनेही विश्वकर्मा, जितेंद्र विश्वकर्मा, लालचंद विश्वकर्मा, मकोई विश्वकर्मा, लल्लन विश्वकर्मा, दीप नारायण विश्वकर्मा, श्रीमती रेखा शर्मा, प्रियंका शर्मा, प्रीति कुमारी, शिवांगी, रुखसार, शबाना, सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।

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