प्रधानमंत्री का जन्मदिवस, विधायक जी सेवा पर्व या दिखावा पर्व?
चकिया।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिवस 17 सितम्बर को पूरे देश में सेवा पर्व/पखवाड़ा मनाया गया। उद्देश्य था—जनसेवा और पर्यावरण संरक्षण को गति देना। लेकिन अफसोस कि चकिया रेंज के उसरी गांव स्थित पंडित बच्चन जी महाविद्यालय में आयोजित विधायक कैलाश आचार्य का कार्यक्रम इस भावना का अपमान बन गया।जनता ने जो देखा, वह हकीकत में सेवा पर्व नहीं बल्कि दिखावा पर्व था। पूरे आयोजन में कई पेड़ लगाए गए लेकिन केवल एक ही पेड़ के साथ विधायक व उनके समर्थक बार-बार फोटो खिंचवाते रहे।




इस पूरे तमाशे में न कहीं सेवा की झलक दिखी, न ही पर्यावरण संरक्षण की कोई गंभीरता।ग्रामीणों की शिकायतें बिल्कुल सही हैं। वे पूछ रहे हैं कि जब हर साल नेता इस तरह के वृक्षारोपण अभियान चलाते हैं, तो हरियाली क्यों नहीं बढ़ती? पुराने लगाए पौधे क्यों सूख जाते हैं? और संरक्षण की योजना क्यों नहीं बनती? इसका सीधा जवाब है—क्योंकि यह सब राजनीति और प्रचार का साधन है, सेवा और जनहित का नहीं।प्रधानमंत्री का जन्मदिवस वह अवसर है, जब जनता उम्मीद करती है कि कम-से-कम उनके नाम पर चलने वाले अभियान सच्चाई और गंभीरता के साथ होंगे। लेकिन विधायक का यह कार्यक्रम जनता के विश्वास के साथ खुला छल है। यह अपमान है उस सेवा पर्व का, जिसे पूरे देश ने समर्पण और निष्ठा से मनाया।समय आ गया है कि जनता ऐसे नेताओं से सवाल पूछे—सेवा पर्व क्या कैमरों की चमक और मंच की शोभा के लिए है, या फिर सचमुच जनता और पर्यावरण के लिए? यदि सेवा पर्व इसी तरह दिखावे और खानापूर्ति तक सीमित रहेगा, तो आने वाली पीढ़ियाँ इसे “ढोंग पर्व” कहने से नहीं हिचकिचाएँगी।
