गौ संसद के मंच से राष्ट्रव्यापी आंदोलन का होगा सूत्रपात : जगद्गुरुशंकराचार्य स्वामि श्री: अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती

प्रयागराज घाम | मेला क्षेत्र के शंकराचार्य शिविर में 5 फरवरी की सुबह अस्त व्यस्त रही। गौ संसद जैसे बड़े आयोजनों में आने वाले प्रतिभागियों, अतिथियों और जन समूह के लिए शिविर की तरफ से काफी बृहद स्तर पर तैयरियां कराई जा चुकी थीं।
संयोजक संजय मिश्रा और राम सजीवन शुक्ल ने बताया कि सैकड़ों की संख्या में मंगाए गए रजाई-गद्दे और अन्य आवश्यक साजो सामान बारिश की भेंट चढ़ गए हैं। जमीन की ढलान के विपरीत लगाए गए टेंटों में पानी इस स्तर तक भर गया था कि मध्य प्रदेश से आए गौ आंदोलन के संयोजक मंडल के सदस्य महाराज जगदीशानंद का मोबाइल और डायरी सहित कई सामान मय कपड़ों समेत डूब कर खराब हो गया। यही स्थिति कई टेंटों में दिखी। जब शंकराचार्य शिविर की ये स्थिति है तो मेला क्षेत्र के बाकी शिविरों और कल्पवासियों पर क्या बीती होगी इसका सहज ही अंदाज़ा लगा सकते हैं।
इन सब के बीच ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरुशंकराचार्य स्वामि श्री: अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती ‘1008’ जी महाराज नियत समय पर गौ सभा को सम्बोदित करने पधारे। समयनिष्ठ स्वामि श्री: की ये प्रतिबद्धता और निर्पेक्षिता ही उन्हें व्यक्ति से अलग एक विलक्षण व्यक्तित्व में परिभाषित करती है। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि छह फरवरी को होने वाली गौ संसद के मंच से राष्ट्रव्यापी आंदोलन का होगा सूत्रपात। गाय की महत्ता बताते हुए उन्होंने कहा कि सृष्टि की रचना के इच्छुक ब्रह्माजी ने सबसे पहले गौमाता का सृजन किया था, ताकि उनकी सृष्टि का पोषण हो सके। पोषण के अपने इसी गुण से गाय विश्व-माता कहलायी। विश्व में सबका पालन-पोषण करने वाली गौमाता को दुर्भाग्य से इस समय काटने और खाने का दुर्गुण विकसित हो गया है। यह कृत्य भारतीय कृतज्ञ संस्कृति पर कलंक ही है। पूर्व काल में राजा परीक्षित के सामने कलियुग ने डण्डे से गौ को मारना चाहा था, तब वे उसे मृत्युदण्ड दे रहे थे और आज उसी देश के राजा गाय को कटते और करुण पुकार करते हुए देखकर भी चुप्पी साधे हुए हैं। गिनती के लोग ही गौ माता की पीड़ा से पीड़ित और द्रवित हैं। अब समय आ गया है जब समस्त सनातन समाज को जागृत करना होगा। जागृत के इस महायज्ञ में हर धार्मिक हिन्दू की ओर से आहुति होनी ही चाहिए। ऐसे में जो जहां है वही से गौ-माता की करुण पुकार को सरकार के समक्ष प्रस्तुत करने में अपना योगदान करे। गौ-व्यथा को दूर कर उन्हें अभयदान दिलाने का सबसे सशक्त मार्ग यही है कि उन्हें राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाया जाए। गौ माता को राष्ट्रमाता की प्रतिष्ठा प्रदान करने के लिए राष्ट्रव्यापी गौ-प्रतिष्ठा आन्दोलन आरम्भ हुआ है। अब यह आवश्यक है कि हर सनातनधर्मी न सिर्फ गौ माता की महत्ता को समझे बल्कि उनसे भली भांति परिचित भी हो। भारतीय नस्ल की ऐसी सभी गाय जिनका संकरीकरण नहीं किया गया है उन्हें राष्ट्रमाता का आसन दिलाना है।
सभा के बीच गौ पालकों के सुझावों और गौ संसद से जुड़े प्रश्न व् अन्य तैयारियों परभी उन्होंने दिशा निर्देश दिए जिससे छह फरवरी को हाने वाली गौ संसद गौ को राष्ट्र माता के रूप में प्रतिष्ठि कराने में मील का पत्थर साबित हो। छह फरवरी की दोपहर 12:00 बजे से होने वाली गौ संसद में चतुष्पीठों के शंकराचार्यो,अन्य पीठों के आचार्य,महंतों, महामंडलेश्वरों और धर्मांसदों के सानिध्य में रामा गौ पर कुछ विशेष घोषणा होना निश्चित है जिसकी गूँज पूरे विश्व भर में सुनाई देगी।

उक्त जानकारी परमाराध्य परमधर्माधीश ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य जी महाराज के मीडिया प्रभारी सजंय पाण्डेय के माध्यम से प्राप्त हुई है।।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!