धमूधाम से मनाई गई लोकनायक बिरसा मुंडा की जयंती

RIPORT VIKASH TIWARI

राजकीय आश्रम पद्धति बालिका विद्यालय मड़िहान मीरजापुर में आज दिनांक 15-11-23 को लोकनायक बिरसा मुंडा जी का जन्मोत्सव बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया एवं उनके जीवन पर वस्तिार से प्रकाश डाला गया। आदिवासी नेता बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1885 को रांची, झारखंड में हुआ और इनकी मृत्यु 9 जून 1900 में रांची की सेंट्रल जेल में हुई। तब भारत में ईसाई धर्म का बहुत ज्यादा बोलबाला था जिसके कारण उनके चाचा दादा समेत उनके ज्यादातर परिवार वालों ने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया और उनके पिताजी जर्मन धर्म के समर्थक थे। बिरसा भी स्कूल में जाते तो ईसाई पादरी शिक्षक उनके धर्म का मजाक उड़ाते थे। जिसके कारण बिरसा मुंडा ने भी उनके ईसाई धर्म का मजाक उड़ाया और उनकी इस बात के चलते उन्हें विद्यालय से निकाल दिया गया था। 1885 में आदिवासी लोग बिरसा मुंडा को

भगवान मानने लगे उनके बारे में किवदंती थी की वो भगवान है उनको हिंदू धर्म का और महाभारत का ज्ञान स्वामी आनंद पांडेय से हुआ था। मुंडा ने अंग्रेजों के द्वारा चलाए जा रहे पाखंडो का खंडन किया और अहिंसा के साथ शराब आदि नशीली चीजों का सेवन न करने की सलाह दी। जिसके बाद जितने भी मुंडा (आदिवासी हिंदू) ईसाई बने वह वापस अपने धर्म में आने लगे और बिरसा मुंडा की अगुवाई में अंग्रेजों के विरूद्ध अभियान में पूर्ण रूप से साथ देने लगे थे। भारतीय इतिहास में बिरसा मुंडा जी का बहुत महत्व रहा है जिसे भुलाया नहीं जा सकता है।
इसी क्रम में पंडित दीनदयालय उपाध्याय राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय परसिया, मीरजापुर में जनजातीय गौरव दिवस के रूप में महानायक भगवान बिरसा मुंडा की जयन्ती धूमधाम से मनायी गयी। जिसमें सर्वप्रथम प्रधानाचार्य श्री प्रमोद कुमार दूबे द्वारा महानायक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बिरसा मुंडा को पुष्पांजली अर्पित किया गया। तत्पश्चात विद्यालय के शिक्षक, शिक्षिकाओं, गैर शैक्षणिक कर्मचारियों तथा छात्रों द्वारा पुष्प अर्पित किया गया। छात्रों द्वारा आदिवासी संस्कृति से सम्बन्धित नृत्य प्रस्तुत किये गये। श्री विजय प्रकाश सहायक अध्यापक एलटी ग्रेड द्वारा बिरसा मुंडा साहस, शौर्य और स्वतंत्रता संग्राम में उनके किये योगदान के बार में प्रकाश डाला गया। श्री बीरबल प्रवक्ता हिन्दी द्वारा महानायक बिरसा मुंडा के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा गया कि उन्होंने समाज में अन्धविश्वास और ढकोसलों के चंगुल से छूट कर पाखंड का विरोध किया था तथा समाज के लिए वह एक प्रेरणास्रोत हैं। प्रधानाचार्य श्री प्रमोद कुमार दूबे द्वारा महानायक बिरसा मुंडा के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा गया कि महानायक बिरसा मुंडा देश से ब्रिटिश हुकूमत को हिलाने व स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए समाज को एकजूट करने का प्रयास किये जिसके कारण स्वतंत्र भारत में रहने का अवसर हम लोगों को प्राप्त हुआ उनकी कुर्बानी को भुलाया नही जा सकता है।

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