RIPORT VIKASH TIWARI
मड़िहान मिर्जापुर वन क्षेत्रों से उत्तर प्रदेश का राजकीय पुष्प दुर्लभ हो गया है। बनों को अपने फुलों से शोभायमान करने वाला पलाश का वृक्ष ख़तरे में है। लकड कसाईयों के निगाह पर होने के कारण जंगलों में दुर्लभ हो गया है। भगवान शिव का वरदान मानें जाने वाला ये वृक्ष आयुर्वेदाचार्यों के मत के अनुसार अपने आप में सभी रोंगो के निदान का औषधी है। जिसका इस्तेमाल विभिन्न बिमारियों में दवाई बनाने के रूप में किया जाता है। त्वचा के संक्रमणों में, जोड़ों के दर्द में ,इसकी छाल एक अचूक दवा है।पलाश के फुल से स्नान करने पर ताजगी महसूस होती है। इसके उपयोग से बूढ़ापा दूर हो जाता है।ये बेमिसाल वृक्ष ढाक नाम से भी प्रसिद्ध है। इसके नाम से कहावत भी कहा गया है। ढाक के तीन पात। इसके पत्ते तीन तीन समुह में विभक्त होते हैं।शिव के तीन नेत्रों के प्रतीक होते हैं।कहा जाता है जब कामदेव ने शिव भगवान पर फुलों का बांण चलाया था।उस समय कामदेव पलाश के पेड़ पर बैठें थे। जब शिव का तीसरा नेत्र खुला तो कामदेव जलने लगें तो पलाश भी जलने लगा।तब पलाश ने शिव से बिनती की । भगवान आप हमें क्यों जला रहे हैं।मेरा अपराध क्या है।तब भगवान शिव को दया आ गया तो उन्होंने उसपर लगी हुई आग की लपटों को फुल होने का वरदान दे दिया। तुझ पर जो पत्ते आयेंगे वो मेरे नेत्र जैसे होंगे । टिसू कहे जाने वाला ये वृक्ष बहुत शुभ है।जिस घर के पास होता है उस घर पर लक्ष्मी का वास हो जाता है। फारेस्ट आफ फायर बियूटिया मानो स्पर्मा के नाम से प्रसिद्ध पलाश का फुल जंगलों को रातों में भी प्रकाशमय बना देता है। पलाश का वृक्ष जंगलों, मैदानों, ऊंची पहाड़ियों, खाड़ियों के ऊंची चोटियों पर मिलता है। लेकिन अराजकतत्व इसे काटकर विलुप्त होने के कगार पर पहुंचा दिये है। ये अनमोल वृक्ष जंगलों में बहुत कम दिखाई दे रहा है। दुर्लभ होता जा रहा है।इसे नष्ट होने से रोकने की जरूरत है। इसे आखिर क्यों काटा जाता है ।इसका क्या दोष है। ये कहता है। मैं पलाश हूं, औषधियों से भरमार हूं शिव का वरदान हूं । मनमोहक लाल हूं,सब रोगों का निदान हूं।रोशनमान हूं।शिव के तीन नेत्र,ढाक हूं तीन पात हूं। शुद्ध भोग रखने का पात्र हूं। हमें काटो ना वातावरण का जान हूं।