वैदिक संवत ब्रह्मबद 155521972949 मिती 2 सहसयमास युगाबद5125 मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष एकादशी मोक्षदा एकादशी 

रिपोर्ट रोहित सेठ Varanasi

वैदिक संवत ब्रह्मबद 155521972949 मिती 2 सहसयमास युगाबद5125 मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष एकादशी मोक्षदा एकादशी

 

विक्रम संवत 2080 दिनांक 23 दिसंबर 2023 स्वबोध आश्रम श्री ज्योतिर धाम कोई राजपुर हरहुआ वाराणसी में श्रीमद् भागवत गीता जयंती के पावन अवसर पर मंत्र दृष्टा प्रज्ञा पुरुष ओम श्री आनंद प्रभु ने अपने भक्तों एवं अनुयायियों को बताया कि श्री कृष्ण संवत के अनुसार 5248 वर्ष पूर्ण हो रहा है भगवान श्री कृष्ण के वचन का अनुसरण करें धर्म क्षेत्र कुरुक्षेत्र में अर्जुन ने स्वयं को धर्म के संबंध में अपने को मूढचितत वाला कहते हुए जिस कारणीयकर्म का समाधान चाहा था भगवान ने गीता को 18 अध्याय में उसका विषद विवेचना करते हुए सर्व धर्मान परित्यज्य मामेकं शरण,वज्र, के रूप में जो समाधान व्यक्त किया उसे आज भी मानव समाज पूर्ण रूप से अपना नहीं पाया और इसीलिए वह प्रकृति द्वारा चलित धर्मो को ले कर संघर्षरत ही नहीं अपितु अपने-अपने पंथीक भगवानों को लेकर युद्ध रत है तो आवश्यकता यह है कि हम गीता ज्ञान को केवल बौद्धिक विचरणा का विषय नाव बनाकर साधनात्मक व्यवहार का पथ प्रदर्शक स्वीकार करें क्योंकि भगवान एवं धर्म दो पृथक सत्ताएं नहीं है यदि हम प्रकृति से पार सच्चिदानंद स्वरूप परमात्मा की स्वीकृति करें तो हमारे लिए सहज ही उसे सच्चे धर्म का प्रकाश हो जाता है जो हम सब का एक और सनातन है पहले भी था आज भी है और आगे भी चलता रहेगा किंतु मानव कर्म कारण की श्रृंखला में बधा हुआ जन्मो ,जन्मो के जागितक दुख भोग के लिए अभिशप्त है और इसे ही वह अपना भाग्य मान इससे छुटकारा के लिए स्वर्ग एवं मुक्ति की लालसा से अपने सहज स्वधर्म से विमुख है ध्यान रहे वर्तमान में जितने भी तथाकथित धर्म है सब महाभारत के बाद ही उत्पन्न हुए हैं जबकि सच्चा धर्म अजन्मा एवं नित्य है उसकी प्राप्ति ही जीव की मुक्ति का सहज पथ है जो सबके लिए सहज ही उपलब्ध है, स्वबोधः परमो धर्मःओम आनंदम

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