सनातन धर्म में दिवाली के ही समान देव दिवाली (Dev Diwali) का पर्व भी मनाया जाता है। दीपावली का यह छोटा संस्करण, देव दिवाली, दिवाली के वास्तविक त्योहार के बाद आने वाली पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसे त्रिपुरोत्सव अथवा त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है। देव दीपावली हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक महीने में आती है। इसके अलावा, कार्तिक पूर्णिमा (पूर्णिमा दिवस) भारत के प्रमुख हिस्सों में मनाया जाता है। देव दीपावली के मौके पर न सिर्फ बच्चे बल्कि बड़े भी पटाखे फोड़कर जश्न में शामिल होते हैं। कुछ प्राचीन मिथक बताते हैं कि देव दीपावली के इस शुभ दिन को मनाने के लिए देवी-देवता भी स्वर्ग से उतरते हैं।
बनारस में देव दीपावली का आयोजन सात नवंबर को होगा। कार्तिक पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण के कारण देवदीपावली का आयोजन सात नवंबर को ही किया जाएगा। देव दीपावली पर गंगा के तट और कुंडों को भी भव्य रूप से सजाया जाएगा। राष्ट्रपति सबसे पहले नमो घाट पर पहुंचेंगी और वहां के आयोजन को देखने के बाद क्रूज पर सवार होकर गंगा घाटों की भव्यता को देखने निकलेंगी। पिछली बार देव दीपावली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी की देव दीपावली का नजारा देखा था। इसके साथ ही बनारस की देव दीपावली वैश्विक मंच पर नए स्वरूप में निखर उठी थी। घाटों को अलग-अलग थीम पर सजाया जाएगा और घाटों पर 10 लाख से अधिक दीप जलाए जाएंगे। विभागवार इसकी जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। गंगा पार रेती पर पानी उतरने के इंतजार किया जा रहा है। पानी कम होने पर गंगा पार रेती पर दीप जलेंगे।