भाजपा बोली, आप के शिक्षा मॉडल में होती है भ्रष्टाचार की पढ़ाई, सिसोदिया ने पीएम पर हमला बोला

Gujarat Election 2022: Delhi Education Model

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– फोटो : Agency (File Photo)

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अरविंद केजरीवाल अपना हर चुनावी अभियान दिल्ली के शिक्षा और स्वास्थ्य मॉडल से आगे बढ़ाते हैं। गुजरात चुनाव में भी आम आदमी पार्टी अपने इन्हीं मुद्दों के साथ लड़ाई लड़ती दिखाई पड़ रही है। शराब घोटाले में गिरफ्तारी की तलवार लटके होने के बाद भी मनीष सिसोदिया मंगलवार को अहमदाबाद पहुंचे और उन्होंने राज्य के सभी क्षेत्रों में सरकारी स्कूल खोलने और बेहतर शिक्षा देने का दावा किया। बुधवार को भी उन्होंने भाजपा पर हमला किया और कहा कि पीएम मोदी पहली बार गुजरात के छात्रों के साथ बैठे हैं। यदि भाजपा ने यही काम 27 साल पहले शुरू किया होता, तो आज राज्य के हर क्षेत्र में स्कूल होते।  

उनके इस दावे पर भाजपा ने कड़ा पलटवार किया है। पार्टी ने कहा है कि अरविंद केजरीवाल के शिक्षा मॉडल में केवल ‘भ्रष्टाचार करने’ की शिक्षा दी जाती है। आम आदमी पार्टी की इस चाल को सिसोदिया ही आगे बढ़ाते हैं और टॉयलेट को कक्षा बताकर भ्रष्टाचार करते हैं। पार्टी ने दावा किया है कि केजरीवाल-सिसोदिया का शिक्षा मॉडल पर किया गया हर दावा झूठा है। वह गुजरात में आम आदमी पार्टी के द्वारा शिक्षा के मामले में किये जा रहे गलत प्रचार के खिलाफ अभियान चलाएगी।  

भाजपा ने आरोप लगाया है कि दिल्ली सरकार ने सरकारी स्कूलों में निर्माण के नाम पर भी भ्रष्टाचार किया। कक्षाओं के निर्माण के लिए टेंडर जारी किया गया, लेकिन कक्षाओं की जगह टॉयलेट बनाकर पैसे नेताओं-अधिकारियों की जेब में डाले गए। आरोप है कि कुछ कक्षाओं का निर्माण किया गया, लेकिन इस निर्माण की गुणवत्ता बेहद खराब थी। जिन भवनों का निर्माण हुआ, उनकी कीमत बाज़ार भाव से दस गुने से भी ज्यादा थी। इस आरोप की भी जांच की जा रही है। 

कितने स्कूलों में विज्ञान की पढ़ाई

अरविंद केजरीवाल यह दावा करते हैं कि वे दिल्ली के छात्रों को सबसे बेहतर शिक्षा दे रहे हैं। इससे छात्रों का भविष्य उज्ज्वल होगा और वे भी प्राइवेट स्कूलों के बच्चों की तरह आगे प्रगति कर सकेंगे। लेकिन दिल्ली सरकार के इस दावे की पोल उस आकड़े से खुल जाती है, जो दिल्ली के शिक्षा विभाग से प्राप्त होते हैं। शिक्षा विभाग के एक आंकड़े के मुताबिक, दिल्ली में मॉर्निंग-इवनिंग शिफ्ट को मिलाकर कुल 1043 स्कूल हैं। इनमें लगभग 18 लाख छात्र शिक्षा ग्रहण करते हैं।

लेकिन दिल्ली के 1043 स्कूलों में से केवल 398 स्कूलों में ही विज्ञान और गणित की पढ़ाई होती है। 12वीं कक्षा में विज्ञान पढ़ने वाले कुल 2.31 लाख छात्रों में से केवल 21,340 ही विज्ञान की पढ़ाई कर रहे हैं। यह आंकड़ा सरकार के उन दावों की पोल खोल देता है जो वह करती आ रही है।

सिसोदिया बताएं क्यों गिर रही छात्रों की संख्या- भाजपा

दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता खेमचंद शर्मा ने अमर उजाला से कहा कि केजरीवाल सरकार अपने हर दावे में फेल साबित हुई है। सिसोदिया गुजरात में नए स्कूल खोलने का दावा कर रहे हैं, लेकिन आठ साल के शासन काल के बाद भी केजरीवाल सरकार दिल्ली में एक भी नए स्कूल नहीं खोल पाई है। केजरीवाल और उनके मंत्री दिल्ली के सरकारी स्कूलों में बेहतर शिक्षा दिए जाने का दावा करते हैं, लेकिन वे इस बात का कोई कारण नहीं बता पाते कि यदि इनके स्कूलों में शिक्षा का स्तर इतना ही ऊंचा है तो इन स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या में लगातार गिरावट क्यों आ रही है।

प्राइवेट स्कूलों से सरकारी स्कूलों में आने का दावा कितना सही?

अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और भगवंत मान इस बात को लेकर अलग-अलग दावे करते रहे हैं कि कोरोना काल के दौरान भारी संख्या में प्राइवेट स्कूलों के छात्रों ने सरकारी स्कूलों में एडमिशन लिया। भाजपा नेता ने कहा कि इस मामले पर आम आदमी पार्टी के नेताओं के द्वारा अलग-अलग आंकड़े देना ही यह साबित करता है कि यह मामला झूठा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के शिक्षा विभाग के आकंड़े बताते हैं कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है, इसके बाद भी यदि सरकार यह दावा करती है कि लोग प्राइवेट स्कूलों से नाम कटवाकर सरकारी स्कूलों में पढ़ने आ रहे हैं तो ये शर्मनाक है।

विस्तार

अरविंद केजरीवाल अपना हर चुनावी अभियान दिल्ली के शिक्षा और स्वास्थ्य मॉडल से आगे बढ़ाते हैं। गुजरात चुनाव में भी आम आदमी पार्टी अपने इन्हीं मुद्दों के साथ लड़ाई लड़ती दिखाई पड़ रही है। शराब घोटाले में गिरफ्तारी की तलवार लटके होने के बाद भी मनीष सिसोदिया मंगलवार को अहमदाबाद पहुंचे और उन्होंने राज्य के सभी क्षेत्रों में सरकारी स्कूल खोलने और बेहतर शिक्षा देने का दावा किया। बुधवार को भी उन्होंने भाजपा पर हमला किया और कहा कि पीएम मोदी पहली बार गुजरात के छात्रों के साथ बैठे हैं। यदि भाजपा ने यही काम 27 साल पहले शुरू किया होता, तो आज राज्य के हर क्षेत्र में स्कूल होते।  

उनके इस दावे पर भाजपा ने कड़ा पलटवार किया है। पार्टी ने कहा है कि अरविंद केजरीवाल के शिक्षा मॉडल में केवल ‘भ्रष्टाचार करने’ की शिक्षा दी जाती है। आम आदमी पार्टी की इस चाल को सिसोदिया ही आगे बढ़ाते हैं और टॉयलेट को कक्षा बताकर भ्रष्टाचार करते हैं। पार्टी ने दावा किया है कि केजरीवाल-सिसोदिया का शिक्षा मॉडल पर किया गया हर दावा झूठा है। वह गुजरात में आम आदमी पार्टी के द्वारा शिक्षा के मामले में किये जा रहे गलत प्रचार के खिलाफ अभियान चलाएगी।  

भाजपा ने आरोप लगाया है कि दिल्ली सरकार ने सरकारी स्कूलों में निर्माण के नाम पर भी भ्रष्टाचार किया। कक्षाओं के निर्माण के लिए टेंडर जारी किया गया, लेकिन कक्षाओं की जगह टॉयलेट बनाकर पैसे नेताओं-अधिकारियों की जेब में डाले गए। आरोप है कि कुछ कक्षाओं का निर्माण किया गया, लेकिन इस निर्माण की गुणवत्ता बेहद खराब थी। जिन भवनों का निर्माण हुआ, उनकी कीमत बाज़ार भाव से दस गुने से भी ज्यादा थी। इस आरोप की भी जांच की जा रही है। 

कितने स्कूलों में विज्ञान की पढ़ाई

अरविंद केजरीवाल यह दावा करते हैं कि वे दिल्ली के छात्रों को सबसे बेहतर शिक्षा दे रहे हैं। इससे छात्रों का भविष्य उज्ज्वल होगा और वे भी प्राइवेट स्कूलों के बच्चों की तरह आगे प्रगति कर सकेंगे। लेकिन दिल्ली सरकार के इस दावे की पोल उस आकड़े से खुल जाती है, जो दिल्ली के शिक्षा विभाग से प्राप्त होते हैं। शिक्षा विभाग के एक आंकड़े के मुताबिक, दिल्ली में मॉर्निंग-इवनिंग शिफ्ट को मिलाकर कुल 1043 स्कूल हैं। इनमें लगभग 18 लाख छात्र शिक्षा ग्रहण करते हैं।

लेकिन दिल्ली के 1043 स्कूलों में से केवल 398 स्कूलों में ही विज्ञान और गणित की पढ़ाई होती है। 12वीं कक्षा में विज्ञान पढ़ने वाले कुल 2.31 लाख छात्रों में से केवल 21,340 ही विज्ञान की पढ़ाई कर रहे हैं। यह आंकड़ा सरकार के उन दावों की पोल खोल देता है जो वह करती आ रही है।

सिसोदिया बताएं क्यों गिर रही छात्रों की संख्या- भाजपा

दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता खेमचंद शर्मा ने अमर उजाला से कहा कि केजरीवाल सरकार अपने हर दावे में फेल साबित हुई है। सिसोदिया गुजरात में नए स्कूल खोलने का दावा कर रहे हैं, लेकिन आठ साल के शासन काल के बाद भी केजरीवाल सरकार दिल्ली में एक भी नए स्कूल नहीं खोल पाई है। केजरीवाल और उनके मंत्री दिल्ली के सरकारी स्कूलों में बेहतर शिक्षा दिए जाने का दावा करते हैं, लेकिन वे इस बात का कोई कारण नहीं बता पाते कि यदि इनके स्कूलों में शिक्षा का स्तर इतना ही ऊंचा है तो इन स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या में लगातार गिरावट क्यों आ रही है।

प्राइवेट स्कूलों से सरकारी स्कूलों में आने का दावा कितना सही?

अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और भगवंत मान इस बात को लेकर अलग-अलग दावे करते रहे हैं कि कोरोना काल के दौरान भारी संख्या में प्राइवेट स्कूलों के छात्रों ने सरकारी स्कूलों में एडमिशन लिया। भाजपा नेता ने कहा कि इस मामले पर आम आदमी पार्टी के नेताओं के द्वारा अलग-अलग आंकड़े देना ही यह साबित करता है कि यह मामला झूठा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के शिक्षा विभाग के आकंड़े बताते हैं कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है, इसके बाद भी यदि सरकार यह दावा करती है कि लोग प्राइवेट स्कूलों से नाम कटवाकर सरकारी स्कूलों में पढ़ने आ रहे हैं तो ये शर्मनाक है।

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