घंटाघर के मैदान में सोमवार की रात कवियों और शायरों के नाम रही। कौमी एकता के संदेश को संजोये गंगा जमुनी फाउंडेशन

RIPORT VIKASH TIWARI

नगर स्थित घंटाघर के मैदान में सोमवार की रात कवियों और शायरों के नाम रही। कौमी एकता के संदेश को संजोये गंगा जमुनी फाउंडेशन
के बैनर तले आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन एवं मुशायरे मे देश की नामचीन हस्तियों ने सहभागिता की।
कवियत्री डॉ.शुभम त्यागी ने मां वीणा वाली की आराधना कर और फलक सुल्तानपुरी ने नात शरीफ पढ़कर आयोजन को गति दिया।
फ़तेहपुर के शिव शरण बंधु ने वो जो तूफान से नहीं डरते वो ही दरिया के पार जाते हैं…….. और नफरत की राजनीति कहां तक चलाओगे कब तक हमारे मुल्क में दंगे कराओगे…. गीत प्रस्तुत किये.
संचालन कर रहे देश के लोकप्रिय कवि व मंच के संचालक सौरभ कांत शर्मा ने मिर्जा़पुर को क्या पटना करवाऐगी जाम लगेगा सड़कें पर सज धज कर ना निकल एक दिन तेरी सुंदरता कोई घटना करवाऐगी… से खूब शमा बांधी। हास्य कवि विकास बौखल ने फेसबुक किया उसका तो प्रोफ़ाइल में पढ़ लिखी.. व ढाई साल प्रेमिका समझ बात किया चोट पर बाद में पता लगा कि पड़ोस वाली चाची है…जैसे अपने चुटकुलों और हास्य व्यंग्य से उपस्थित जन का मन जीत लिया…..लगता है अब मंच पर हो गई हो तुम ट्रेंड तुम भी सेकंड हैंड है और हम भी सेकंड हैंड….तरन्नुम नाज़ फ़तेहपुरी के गजल और शेरो ने खूब आकर्षण बटोरी। मशहूर शायर सुहैल उस्मानी ने अब चरागों को जलायेंगे ये सोचा है हम अपना रास्ता खुद ही बनायेंगे ये सोचा है…..अपने शानदार शेर और ग़ज़ल पढ़े। अध्यक्षता कर रहे हैं डॉ. शाद मिश्रीकी के द्वारा मुझसे रूठे हैं क्यों वे बताते नहीं..
प्यार करता नहीं शाद उनसे कोई जो चिरागे मुहब्बत जलाते नहीं.. जैसे पेश किए गए मोहब्बत के गीत और शेरों ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।


सौरभ कांत शर्मा व कवियत्री डॉ.शुभम त्यागी के
नोकझोंक भरी कविताओं और पंक्तियों के श्रोताओं को देर रात तक बांधे रही। पागलपन में कितना करते ड्रामा हैं लाईन मारते सबको घामा घामा है…..
किसी और की हो चुकी हों ये सीन लो मेरे बच्चों के ये लगते मामा हैं….
मगर इतना समझ लेते कि दिल के कितने सच्चे हैं
दिल अब भी धड़कता है घर में चार बच्चे हैं…..
जो हंस के ना हो सके वो मोर के क्या होंगे जो सांझ के ना हो सके वो भोर के क्या होंगे…..
कि ना ये सीता के राम बने हैं ना ये राधा के श्याम बने हैं ऐसे लोग ही मौका पा कर आशा राम बने हैं…….जैसी कविता पढ़ी। ये गीत सुनाकर बाहबाही बटोरी।
इसमें फाउंडेशन के अध्यक्ष शैलेन्द्र अग्रहरि, सचिव फरीद साबरी, डॉ.आर.बी. कमल, डॉ. तरूण सिंह, अरुण मिश्रा, परवेज खान, मनोज श्रीवास्तव, गुलाम हैदर, नित्यानंद निषाद, अतिन गुप्ता, हरिहर प्रताप सिंह, कमलेश दुबे,आशुकांत चुनाहे, नईम भाई, मोहम्मद जावेद, राधेश्याम गुप्ता, अनिल बरनवाल, अरुण अग्रवाल, वैभव रस्तोगी, शमा नवाज, बीना बरनवाल, गुंजा गुप्ता, उमा बरनवाल, नन्हे भाई, कन्हैयालाल त्रिपाठी आदि लोग उपस्थित रहे।

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