◆किसी पुस्तक को समझने के लिए विश्लेषण वाली दृष्टि होनी चाहिए : चित्रकूट के कुलपति प्रो शिशिर पाण्डेय◆
रिपोर्ट विकास तिवारी
साहित्यकार उषा कनक पाठक की पुस्तक का लोकार्पण◆विद्वानों को सम्मानित किया गया।-मिर्जापुर। चित्रकूट के जगद्गुरु रामभद्राचार्य राज्य विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो शिशिर पाण्डेय ने कहा कि किसी पुस्तक की रचना में रचनाकार के भावों को समझने के लिए विश्लेषण वाली दृष्टि होनी चाहिए, क्योंकि रचनाकार सूत्र वाक्यों में अपनी बात कहता है, जिसका अर्थ व्यापक होता है। प्रोफेसर शिशिर पाण्डेय ने 12 जनवरी, रविवार को नगर के मध्य स्थित महर्षि दयानन्द बालिका इंटर कॉलेज के सभागार में वहीं की प्रिंसिपल एवं साहित्यकार डॉ उषा कनक पाठक द्वारा रचित ‘द्वैताद्वैत का अनुपम संसार’ नामक पुस्तक के लोकार्पण के अवसर पर उक्त बातें कहीं। प्रोफेसर पाण्डेय ने कहा कि यह पुस्तक सुगम और अगम दोनों है। साधारण पाठक भी इसके अर्थों एवं भावों को समझ सकता है तो इसकी गहराई में उतरने में व्याख्या में रत्न भी निकलेंगे । इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि डॉ सच्चिदानंद पाठक ने कहा कि पुस्तक में रचनाकार ने जिस अनपुम संसार की बात कही है, उसे समझने की जरूरत है। उन्होंने द्वैत एवं अद्वैत की भी वृहद व्याख्या की। समारोह की अध्यक्षता श्रीमाता प्रसाद माताभीख इंटर कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य डॉ श्यामनारायण तिवारी ने की। कार्यक्रम में पुस्तक की समीक्षा सलिल पाण्डेय ने तो लोकगीत गायन विजय शंकर पाठक ने किया एवं सरस्वती वंदना श्री जवाहरलाल दुबे ने की। प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत आयोजिका डॉ उषाकनक पाठक ने किया जबकि धन्यवाद इंजीनियर सौरभ पाठक ने तथा संचालन पैड़ापुर इंटर कॉलेज के सेवा निवृत्त शिक्षक उमाशंकर पाण्डेय ने तथा समापन पुस्तक के प्रकाशक अमित आंनद ने किया। समारोह में शिक्षा जगत एवं पत्रकारिता जगत में उल्लेखनीय भूमिका अदा करने वालों को उत्तरीय देकर सम्मानित किया गया ।◆सलिल पाण्डेय, मिर्जापुर