अपनी सांस्कृति को बचाना आज बहुत जरूरी-पं रत्नाकर मिश्रहम अपने पुरातन आदर्श को न भूलें- भोलानाथ कुशवाहा

अपनी सांस्कृति को बचाना आज बहुत जरूरी-पं रत्नाकर मिश्रहम अपने पुरातन आदर्श को न भूलें- भोलानाथ कुशवाहा

रिपोर्ट विकास तिवारी

विंध्य धाम में ‘विंध्य शिखर: मिर्जापुर’ पुस्तक का हुआ विमोचन मिर्जापुर। मां विंध्यवासिनी के पावन धाम में विधायक निवास पर मिर्जापुर की सांस्कृतिक विरासत पर आधारित पुस्तक ‘विंध्य शिखर: मिर्जापु’र का विमोचन समारोह एवं पुस्तक परिचर्चा मंगलवार की शाम बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित नगर विधायक माननीय पंडित रत्नाकर मिश्र के कर कमलों द्वारा जिले के वरिष्ठ साहित्यकारों एवं संभ्रांत नागरिकों की गरिमामई उपस्थिति में संपन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार भोलानाथ कुशवाहा ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में पुस्तक के उपयोगिता पर प्रकाश डाला तथा इसे अपनी खोती जा रही संस्कृति को बचाए रखने के लिए आवश्यक बताया और कहा कि हम अपने पुराने आदर्शों को न भूलें। हिंदी श्री साहित्य संस्थान मिर्जापुर द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम की शुरुआत चर्चित साहित्यकार आनंद अमित के सरस्वती वंदना एवं मां विंध्यवासिनी की आराधना से हुआ। मिर्जापुर के मूल निवासी एवं गाजियाबाद में निवासरत इस पुस्तक के लेखक डॉ मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव शिखर ने मुख्य अतिथि, अध्यक्ष, विशिष्ठ अतिथि एवं अन्य सभी अतिथियों का अंगवस्त्रम भेंटकर सम्मान किया। मुख्य अतिथि ने इस पुस्तक के लेखक डॉ मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव को अंग वस्त्रम से सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन कर रहे साहित्यकार आनंद अमित ने सभी अतिथियों का परिचय, स्वागत एवं पुस्तक के प्रकाशन पर प्रकाश डाला। मुख्य अतिथि ने पुस्तक विमोचन कर पुस्तक के संदर्भ पर विस्तृत रूप से अपने विचार व्यक्त किया और बहुत सी बातें उन्होंने उपस्थित श्रोताओं के समक्ष रखी। मुख्य अतिथि ने कहा कि जिस मां विंध्यवासिनी की महिमा का वर्णन देवता लोग भी नहीं कर सकते, उनका वर्णन हम मनुष्य लोग क्या कर पाएंगे। उन्होंने आज सांस्कृतिक चेतना के लुप्त होने पर चिन्ता व्यक्त की। परिचर्चा के क्रम में राजीव मिश्रा, तरुण पांडेय, अनिल मिश्रा एवं विशिष्ट अतिथि राजपति ओझा ने साहित्यिक विमर्श में भाग लिया। प्रारम्भ में लेखक ने पुस्तक की प्रस्तावना, उद्देश्य एवं रूपरेखा पर प्रकाश डाला तथा स्पष्ट किया कि जिस जिले में मां विंध्यवासिनी, मां अष्टभुजा एवं मां काली एक साथ विराजमान हों, उस जिले का वर्णन किसी एक लेखक द्वारा संभव नहीं है, इसके लिए साहित्यकारों एवं विद्वानों की पूरी टीम को वर्षों तक लिखना पड़ सकता है। साहित्यकार आनंद अमित ने अपनी गीतों से सबको आकृष्ट कर आनंद की अनुभूति कराई। उन्होंने बताया कि इस पुस्तक में तहसील, ब्लॉक, ग्राम, नदी, तालाब, झरना, डैम, धार्मिक स्थल, चुनार किला, उद्योग धंधों आदि सहित प्राकृतिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, धार्मिक आदि सांस्कृतिक विरासत का वर्णन संक्षिप्त में किया गया है, जो पर्यटन की दृष्टि से अत्यंत उपयोगी है। विमोचन समारोह में पंडित सुधाकर मिश्र, पंडित पद्माकर मिश्र, विपिन पांडेय, अंकित दूबे, मनीष रावत, आनंद मिश्रा, मोहित मिश्रा, महेंद्र पांडेय, संदीप आदि संभ्रांत नागरिकों की गरिमामई उपस्थिति रही। इस अवसर पर मुख्य अतिथि माननीय पंडित रत्नाकर मिश्र ने सभी पधारे हुए अतिथियों को श्रीमद भगवतगीता की पुस्तक अपनी ओर से भेंट स्वरूप प्रदान की।

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