शिवमहापुराण कथा का हुआ समापन

शिवमहापुराण कथा का हुआ समापन

शिव महापुराण की अलौकिक भाव कथा को श्रवण करने का अवसर पड़ाव क्षेत्र के विभिन्न गांवों सहित पूरे काशी वासियों को प्राप्त हुआ आयोजन में महामंडलेश्वर श्री सतपुरा बाबा के सानिध्य में आयोजन करने का अवसर मिला जजमानों के परिचय के साथ मंच का संचालन आशीष ने किया कार्यक्रम में देश ही नहीं विदेश से भी जजमान आए हुए हैं जिनका परिचय मंच से कराया गया।*

एक लोटा जल सभी समस्याओं का हल* अब एक लोटा जल लेकर पास के किसी भी शिवालय में जाइए और वहां अपना जाना निरंतर बनाएं और महादेव के चरणों में चढ़ता सुनिश्चित करें निश्चित रूप से आपको लाभ मिलेगा। *दान का उपयोग* दिए हुए दान से 351 कमरों की धर्मशाला और 5 से 6 बड़े-बड़े हाल कथा हेतु बनाए जाएंगे जिसमें धाम पर पहुंचने वालों श्रद्धालुओं हेतु ठहरने की व्यवस्था रहेगी उसका लाभ उठा पाएंगे वहीं गौशाला और अस्पताल गरीबों की

सहायता इत्यादि हेतु उत्थान का प्रयोजन किया जाता है।श्री सातुवा बाबा गौशाला डोमरी में महामंडलेश्वर श्री संतोष दास सातुवा बाबा जी के सानिध्य में 20 नवंबर से आयोजित सात दिवसीय शिव महापुराण कथा के सातवें दिन पंडित प्रदीप मिश्रा जी (सीहोर वाले) द्वारा शिव महापुराण कथा को प्रारंभ करने से पहले हनुमान चालीसा गणेश वंदना और ओम नमः शिवाय की धूनी से कथा का आरंभ किया। शिव धुनी में श्रोता मंत्र मुग्ध होकर झूमते रहे उसके ऊपर शहनाई की धुन लोगों को थिरकने से रोक नहीं पाई और सब पंडाल और कथा क्षेत्र भक्तिमय हो गया। मंगलवार को शिवमहापुराण की कथा पंडित प्रदीप मिश्रा जी ने ओम नमः शिवाय की धूनी से कथा का आरंभ किया बाबा विश्वनाथ के सम्मुख मां गंगा की गोद में श्री सतुवा बाबा के गौशाला में काल भैरव बाबा के संरक्षण में इस कथा को 7 दिनों से जिन्होंने सुना इस दिव्य भव्य आयोजन को सभी प्रकार से संपूर्ण करने में सहयोग किया उनके साथ साथ सभी कथा स्थल पर बैठे संत महात्माओं को नमन किया वहीं काशी वासियों को भी नमन किया आगे कथा में कहा कि जब तक भोले बाबा ने ना चाहे तब तक विश्वनाथ जी का धाम पर कोई नहीं आ सकता। *समापन के गीत* खुशी-खुशी कर दो विदा तुम्हारी बेटी याद करेगी जैसे धुन पर भजन सुन कर पंडाल में बैठे लाखों भक्तों को भाव विभोर कर दिया। आगे बताया कि शिव महापुराण की कथा कहती है राजा सत्य केतु की कहानी का वर्णन किया वही भूखे को भोजन प्यासे को पानी जय बाबा बर्फानी शिव महापुराण का सबसे बड़ा लाभ है आप कथा सुनाएं भी और सुने भी। *भंडारे का भोजन करें भी और कराए भी।* अमरनाथ की कथा में भगवान शंकर कहते हैं कि प्रत्येक परिवार में पत्नी या पति में से एक कथा वाचक होना चाहिए। देव ऋषि नारद और उनकी बहन ऋषिका उनके भांजे पर्वत नंद की कथा को सुनाते हुए बताया कि नारद स्वतंत्र भाव से नारायण शिवजी ब्रह्मा जी के यहां चले जाते हैं वहीं पर्वत नंद किसी से मिल भी नहीं पाते। जब कोई बहन अपने भाई को भोजन प्रेम से कराए तो उसका अत्यंत लाभ होता है। जब बहन के घर जाएं तो प्रसन्न मन से जाए उसको कुछ देकर आए और देते समय हमेशा मुख पर प्रसन्नता में हो। बहने, बेटी, गौ माता, संत ब्राह्मण, भगवान शंकर को कुछ देने से कभी घटता नहीं है तुम्हारा हमेशा बढ़ता ही जाता है। घर में बेटा जन्म लेता है तो स्थिति नहीं सुधरता जबकि बेटी अगर जन्म लेती है तो पिता मालामाल होने लगता है। वही घर में भोजन बनाने की बात पर कहा कि रोटी चार हिस्सों में बनाएं पहली रोटी गाय को दूसरी रोटी भगवान को तीसरी रोटी गुरु को और चौथी स्वान अर्थात कुत्ते हेतु। इसको विस्तार से बताया कि पहले वाली गौ माता को नहीं जाती है तो लोग जल्दी-जल्दी जाने के चक्कर में पहली रोटी खा जाते हैं और गाय के हिस्से की रोटी खाएंगे तो गाय की तरह ही हो जाएंगे। वहीं दूसरी रोटी बच्चा स्कूल जाते समय अगर जल्दी-जल्दी खा लेता है तो गुरु के हिस्से की अगर खाएगा तो आजकल के जैसे बच्चे गुरु की तरह ज्ञान दे रहे हैं वैसे ही होते रहते हैं। चौथी रोटी के बारे में बताया कि वह कुत्ते की होती है और अंतिम में बनाई जाती है अधिकतर घरों में देखा गया है अंतिम रोटी माएं या सास खाती है और जो भी उसको खाता है उसको स्वान का जीवन बिताना पड़ता है। कूर्म पुराण के चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि इन रोटियों को देने जाओ तो मुंह उतार कर कभी मत जाओ। *मुस्कुराने के लिए भगवान ने केवल मनुष्य योनि को दिया है।* दुनिया का जो भी काम बल से नहीं होता है। वह एक मुस्कुराहट से हो जाता है इसलिए सदैव प्रसन्न रहें और मुस्कुराकर कार्य किया करें। पत्नी से प्रेम से मुस्कुरा कर बोला जा जरा चाय बना दे वह भी विस्मित हो गई आज बड़ी प्रसन्न होकर कह रहे हैं वह अंदर गई और एक अच्छी सी चाय बनाकर लाई और उसके साथ कुछ बिस्किट भी ले आई। इस तरह मुस्कुराहट बड़े-बड़े काम कर देती है। *मुस्कुराते हुए करे कार्य* शिव शंकर के मंदिर में जाना तो एक लोटा जल मुस्कुराते हुए चढ़ाना नहीं तो भगवान भी कहेगा जा तू इसी तरह मुस्कुराता रहे और मेरे द्वारा तुझे जीवन में हमेशा मुस्कुराने का आशीर्वाद प्राप्त हो। *हम जो बोएंगे वही काटेंगे* हम जिस भाव से कम करेंगे वह उसी भाव से हमें वापस प्राप्त होगा। नारद जी प्रसन्न थे तो उनसे पूछा गया कि क्यों इतने प्रसन्न हो तो नारद ने कहा कि आज मेरी बहन ने मुझे हंस कर पहली बार भोजन कराया। *राजा परीक्षित* की कहानी को वर्णन करते हुए कहा कि जो एक बार भगवान शिव की कथा को सुन लेगा वह फिर भी डूबेगा।कैसे डूबेगा उन्होंने बताया कि भगवान शिव को राजा परीक्षित से कहा कि तुम शिव महापुराण की कथा को सुन लेगा तो भी तेरी मृत्यु होना तय है परंतु कथा श्रवण से तुझे मृत्यु के समय का कष्ट नहीं होगा।एक हास्य व्यंग सुनते हुए कहा कि यदि चाय रखकर चूल्हे पर एक लोटा जल चढ़ाने चली गई तो शिवजी भी कंफ्यूज रहेंगे कि तेरी चाय देखें या एक लोटा जल को देखें। क्योंकि तेरे हर कार्य को शिवजी देखते रहते हैं तो इसलिए भगवान के दर पर कभी भी जाए तो मन मस्तिष्क को मंदिर में ही रखें। भगवान कहते हैं हम जिसकी कथा सुनने बैठे हैं वह हमारे घर की रखवाली करता है। हमारी चिंता भी मेरा महादेव करता है। जिसका हाथ भगवान भोले को पकड़ना होता है जिसको 3 महीने में देना है उन्हें भी लेखा-जोखा रखना है।किसको देना है और कब देना है शिव तत्व की प्राप्ति तभी होगी जब बहन के घर जो भी जाए प्रश्न मुद्रा में जाए और देने जाए तो पहले नारायण और मां लक्ष्मी उसके स्वयं का घर और धन-धान्य से भर देती है।एक तरफ मेरे पिता शिव ने दिया एक तरफ प्रेम से श्री संतोष दास सतूवा बाबा जी आपकी कुटिया में आकर आपके माध्यम से मिला जजमान को प्रसन्न मंच से साधुवाद दिया तृतीय ज्योतिर्लिंग की कथा के समापन पर समीर और आशीष को उनके सभी दल के सदस्यों को भी धन्यवाद दिया। *सत्संग दो से प्रारंभ हुआ श्रोता श्रोता नहीं था वक्ता वक्ता नहीं था वो सभी एक होता है।* *काशी के विकास* के बारे में कहये हुए प्रधान मंत्री नरेंद्रमोदी जी को वाराणसी के इस विकास चौड़ी सड़के नमो घाट इत्यादि का साधुवाद दिया दिव्य भव्य काशी को नमस्कार भी किया। इस बीच मंच पर महामंडलेश्वर श्री संतोष दास सतुआ बाबा के साथ आयोजन समिति के सदस्य संजय केसरी संदीप केसरी आत्मविश्वेश्वर प्रदीप मानसिंहका धीरज गुप्ता महेंद्र चतुर्वेदी संजय महेश्वरी सीताराम अग्रहरि निधि सिंह सहित मंच के सम्मुख लाखों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे*महामंडलेश्वर श्री संतोष दास सतुआ बाबा*आज इस कथा में हमारे क्षेत्र के जिन-जिन बांधों का योगदान रहा मैं सभी को कोटि-कोटि प्रणाम करता हूं। मैं प्रणाम करता हूं उसे केवट जिसने श्रोताओं को। उन पुलिसकर्मियों को डोमरी ग्राम वासियों को जिन्होंने अपने घरों के बाद श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए थे मैं प्रणाम करता हूं पंडाल के सभी उपस्थित श्रद्धालुओं को आस्था चैनल के कर्मचारियों को जिन्होंने पूरे 7 दिन तक विश्व में इसके कार्यक्रम के सीधे प्रसारण को दिखाया। अंत में सभी मीडिया बांधों को भी धन्यवाद ज्ञापन किया कि उन्होंने 7 दिनों तक कार्यक्रम को बहुत ही प्रमुखता से छापा। वही पुनः सीहोर वाले के मुखारविंद से काशी में कथा सुनने की प्रार्थना की।

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