सत्या फाउंडेशन ने ध्वनि प्रदूषण जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

 

ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ अभियान और निशुल्क हेल्पलाइन चलने वाली राष्ट्रीय संस्था ‘सत्या फाउंडेशन’ द्वारा आज गोरखपुर के सेंट पॉल स्कूल और इसके बाद वीरेंद्र नाथ गांगुली मेमोरियल स्कूल में ध्वनि प्रदूषण जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

 

‘सत्या फाउंडेशन’ के संस्थापक सचिव चेतन उपाध्याय ने विद्यार्थियों से कहा कि किसी समय में ध्वनि प्रदूषण एक धीमा जहर माना जाता था जिसका प्रभाव वर्षों बाद पड़ता था मगर विकसित होती तकनीक से मिली शक्ति का मनमाना दुरुपयोग होने के कारण, आज ध्वनि प्रदूषण मौत का वारंट बन गया है और कई मामलों में तो इसके चलते ऑन द स्पॉट मृत्यु की खबरें आम होती जा रही हैं और ऐसे में हम सब का यह दायित्व है कि हम सुधार की शुरुआत अपने घर से करें.

 

चेतन उपाध्याय ने आगे कहा कि हर आदमी कहता है कि बस एक दिन की बात है मगर जिस जिले की आबादी 45 लाख हो, वहां हर दिन किसी न किसी व्यक्ति, संगठन या धर्म का का कार्यक्रम और उत्सव चलता ही रहता है और ऐसे में नियमों का पालन बहुत अधिक आवश्यक है.

 

आज हिंदुस्तान में भोजन की कमी से ज्यादा समस्या नींद की कमी की है. ध्वनि प्रदूषण नियमों का सख्ती से अनुपालन नहीं होने के कारण, लोग अच्छी नींद नहीं ले पा रहे हैं. जो बच्चा रात में ठीक से नहीं सोएगा, उसका अगले दिन पढ़ने में मन नहीं लगेगा और स्कूल में भी नींद आती रहेगी. अच्छी नींद ना ले पाने के कारण पाचन तंत्र और श्वसन तंत्र पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है. आदमी तो आदमी अब तेज शोर के कारण गायों ने भी दूध देना कम कर दिया है और इस बात को पशु चिकित्सक भी स्वीकार कर रहे हैं. इसलिए सभी का यह दायित्व है कि हम लोग पुलिस के आंख-कान-नाक बनें और बिना संकोच, पुलिस के 112 पर कॉल करके दिन के दौरान साउंड को कम करायें और रात 10 बजे स्विच ऑफ करायें. दोनों ही विद्यालयों में विद्यार्थियों को यह अच्छी तरह बताया और समझाया गया कि पुलिस के 112 नंबर पर कॉल करते समय अगर आप कह दें कि आपका नाम गुप्त रखना है तो पुलिस आपका नाम बिल्कुल गुप्त रखती है.

 

कुछ लोग दंड की भाषा ही समझते हैं:-

विद्यार्थियों को बताया गया कि घर बैठे ऑनलाइन मुकदमा दर्ज कराने के लिए गूगल प्ले स्टोर से UPCOP नामक ऐप को डाउनलोड किया जा सकता है. विद्यार्थियों को बताया गया कि दिन के दौरान, अधिक साउंड पर भी मुकदमे का प्रावधान है. मगर रात के समय, यानी रात्रि 10:00 बजे से सुबह 6:00 के बीच किसी भी विवाह जुलूस या धार्मिक स्थल के लाउडस्पीकर के खिलाफ, मुकदमा कराने के लिए किसी डेसीबल मीटर की जरूरत नहीं है क्योंकि इस दौरान साउंड को, पूरी तरह से स्विच ऑफ करने का नियम है. इसके लिए रात के 10.05 पर ही, बारात या जुलूस के बैंड बाजा, आतिशबाजी या डीजे का लाईव वीडियो फेसबुक पर डाल दीजिये और फेसबुक का सर्वर, समय भी बताएगा. वीडियो में अगर कुछ गाड़ियों की वाहन संख्या भी रिकॉर्ड हो जाए तो पुलिस को ध्वनि अपराधी तक पहुंचने में ज्यादा सहूलियत हो जाती है. अब UPCOP ऐप पर जाकर अपनी तहरीर में उक्त लाइव वीडियो के लिंक को भी डाल दें, जिसे कोर्ट भी सबूत के रूप में स्वीकार करती है. दोषी को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम-1986 के तहत ₹1,00,000 तक जुर्माना या 5 साल तक की जेल या एक साथ दोनों सजा हो सकती है.

 

पूरे जिले से लोग मुकदमा कराना शुरू कर देंगे तो अपने आप गुंडागर्दी और अराजकता खत्म हो जाएगी.

 

बताया गया साइलेंस जोन का मतलब:-

शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई, उपासना स्थलों में पूजा इबादत, न्यायालय में बहस और फैसला तथा अस्पताल में मरीज के आराम में कोई बाधा ना हो, इसके लिए सरकार ने साइलेंस जोन यानी शांत क्षेत्र का नियम बनाया है. उपर्युक्त चार प्रकार के स्थान के 100 मीटर के दायरे में जोर से चिल्लाना और हॉर्न बजाना भी गुनाह है. मगर शायद पूरे विश्व में हिंदुस्तान अकेला देश है जहां साइलेंस जोन में डी.जे. और पटाखा बजाकर लोगों को आतंकित और प्रताड़ित किया जाता है. आवश्यकता इस बात की है कि हर जगह साइलेंस जोन के बोर्ड लगाए जाएं और उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए.

 

पटाखों से होने वाले नुकसानों की भी व्यापक चर्चा की गई और इसके बाद सभी ने संकल्प लिया कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को 7, लोक कल्याण मार्ग, नई दिल्ली-110011 के पते पर पत्र लिखकर, पटाखों के उत्पादन और विक्रय पर पूर्ण प्रतिबंध के लिए मांग करेंगे.

 

सेंट पॉल स्कूल, गोरखपुर के कार्यक्रम में प्रधानाचार्य श्री सुदर्शन चौधरी ने धन्यवाद ज्ञापन किया.

 

वीरेंद्र नाथ गांगुली मेमोरियल स्कूल, गोरखपुर के कार्यक्रम में प्रधानाचार्य श्री सुमित गांगुली ने धन्यवाद ज्ञापन किया.

 

 

 

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