आस्था के महापर्व छठ व्रत का समापन छठ का व्रत काफी कठिन माना जाता है
36 घंटे निर्जला व्रत रखने के बाद उगते शुरु को अर्घ्य देखने के साथ यह पूर्ण हो जाता है यह व्रत परिवार की सुख समृद्धि और संतान की लंबी आयु के लिए रखा जाता है
पड़ाव/ चंदौली
ब्यूरों रिपोर्ट : शिवम विश्वकर्मा/ उदय प्रकाश पांडेय
डुमरी गंगा नदी इस पार सजावट की व्यवस्था प्रशासन द्वारा एव समाज सेवी के तरफ से अलग अलग टेंट लगा कर विशेष रूप से योगदान दीया गया जिसके कारण श्रद्धालुओं में उत्साह इस 36 घंटे देखने को मिला सूर्य को अर्घ्य में छठ के महापर्व में चार दिन व्रतियों के निराजली व्रत के बाद देने के बाद सभी श्रद्धालुओं पहले से चल रहे आस्था के पारन किया। आपको बताते चले घाटों से अपने घरों के तरफ लोट महापर्व छठ व्रत का समापन सूर्य देव और उनकी बहन छठी गए उगते और को अर्घ्य देने के किया गया।
गंगा नदी घाट पर मैया की उपासना का बहुत साथ आस्था और संस्कार के पर्व बड़ी संख्या में वृत्तियो और महत्व है। छठ का व्रत काफी छठ का समापन होता है उगते श्रद्धालुओं ने सूर्य देव को अर्घ्य कठिन माना जाता है 36 घंटे और को अर्घ्य देने के लिए आज दिया और छठी मैया से अपनी निर्जला व्रत रखने के बाद उगते सुबह अर्घ्य देने के लिए छठ घाट मनोकामना पूर्ण करने की मन्नत शुरू को अर्घ्य देखने के साथ पर लोगों की भीड़ जुटना शुरू भी मांगी। वृत्तियों व उनके यह पूर्ण हो जाता है यह व्रत हो गई और चार दिनों तक देश की हित की कामना की संतान की लंबी आयु के लिए अर्घ्य दिया जाता है और लोग स्वजन ने भगवान सूर्य से समाज परिवार की सुख समृद्धि और चलने वाले इस महापूर्व सूर्य को
व चार दिवसीय छठ पर्व पर ग्राम महिलाएं रात भर छठ घाट पर जोड़कर अध्ये देते नजर आए तथा कुछ शुक्रवार और अर्घ्य देने के साथ छठ घाट पर महिलाएं रात भर रुक तड़के तीन बजे से ही व्रतियों ने महापर्व समापन होता है इसके कर भजन जागरण की फिर घाटों पर पहुंचकर सूर्य देवता बाद छठ का प्रसाद ग्रहण किया
नहाने खाने से शुरू हुआ। यह रखा जाता है कुछ छठ व्रत घाटों पर सूर्य की तरफ हाथ
सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य और छठी मैया की उपासना शुरू जाता है उनके बाद सूर्योदय के समय अर्घ्य देने के बाद महापर्व का समापन हुआ वही घाट पर जलपान निःशुल्क चाय सभी श्रद्धालू को इंडिया समाचार 24×7 के द्वारा किया गया जिसमें हज़ारों श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिली