कानपुर में दोस्तों के पास 10 हजार कैश ना होने की वजह से देखते ही देखते गंगा में डूबे डिप्टी डायरेक्टर की कहानी

पत्नी जज, भाई आईएएस*

कानपुर में दोस्तों के पास 10 हजार कैश ना होने की वजह से देखते ही देखते गंगा में डूबे डिप्टी डायरेक्टर की कहानी*

 

कानपुर में यूपी हेल्थ विभाग के डिप्टी डायरेक्टर की गंगा में डूबने से मौत हो गई. जब वह गंगा में डूब रहे थे तो वहां पर मौजूद गोताखोर उनके दोस्त से 10000 रुपये की मांग रहे थे. जब तक उनके दोस्त ने पास स्थित दुकान पर पैसा ट्रांसफर किया, तब तक डिप्टी डायरेक्टर डूब चुके थे.

 

*रंजय सिंह.. कानपुर …. उत्तर प्रदेश*

 

कानपुर में यूपी हेल्थ विभाग के डिप्टी डायरेक्टर की गंगा में डूबने से मौत हो गई. गंगा में डिप्टी डायरेक्टर डूबते रहे और गोताखोर बचाने के लिए 10000 रुपये की मांग करते रहे, जब तक ऑनलाइन पैसा ट्रांसफर हुआ, तब तक वह डूब गए. ऐसे में सवाल यह भी उठ रहा है कि जो आदमी हेल्थ विभाग में डिप्टी डायरेक्टर हो और उनकी पत्नी जज और चचेरा भाई बिहार के सीएम नीतीश कुमार का सचिव हो…उसके दोस्त के पास 10000 रुपये नहीं थे. साथ ही लोग इस घटना को लेकर प्रशासन पर भी सवाल उठा रहे हैं. उनका कहना है कि जब इतने बड़े अधिकारी के साथ इस तरह की हरकत की गई तो आम लोगों का क्या होगा. प्रशासन को वहां पर गोताखोर की तैनाती करनी चाहिए. ताकि, अगर किसी के साथ इस तरह की घटना हो तो उसे बचाया जा सके.

 

*नाना मऊ घाट पर हुई घटना*……

 

कानपुर के नाना मऊ घाट पर उन्नाव के रहने वाले यूपी के स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर आदित्य वर्धन सिंह अपने दोस्त प्रदीप तिवारी के साथ गंगा नहाने गए थे. उनकी पत्नी शैलजा मिश्रा महाराष्ट्र में जज हैं, जबकि उनके चचेरे भाई अनुपम सिंह बिहार में सीनियर आईएएस हैं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सचिव हैं. उनके दोस्तों का कहना है कि उन्होंने नहाते समय फोटो खींचने के लिए कहा और इसी दौरान ही अचानक उनका पैर गंगा के गड्ढे में चला गया और वह डूबने लगे.

 

*पैसा ट्रांसफर कराए बिना नदी में नहीं कूदे गोताखोर*

 

उनको डूबता देख दोस्तों ने तुरंत घाट पर खड़े गोताखोरों से कहा उनको बचा लो, लेकिन गोताखोरों ने कहा हमको पहले 10000 रुपये दो. इस पर डिप्टी डायरेक्टर के दोस्तों ने कहा कि हमारे पास 10000 कैश नहीं है. हम ऑनलाइन ट्रांसफर कर देंगे. लेकिन गोताखोरों ने पहले बगल में दुकानदार शैलेश कश्यप के अकाउंट में 10000 रुपये ऑनलाइन ट्रांसफर करा लिए, तब उनको बचाने के लिए आगे बढ़े. हालांकि, तब तक डिप्टी डायरेक्टर डूब चुके थे.

 

उनको ढूंढने के लिए मौके पर पुलिस प्रशासन और एसडीआरएफ की टीम आई व गोताखोरों को भी बुलाया गया. लेकिन रात तक उनकी डेड बॉडी नहीं मिली. इस दौरान इलाके के प्रधान भी वहां आए. वहीं, पैसा लेने वाले शैलेश गौतम का कहना है कि गोताखोर पैसे मांग रहे थे. गोताखोर के पास अकाउंट नहीं था तो उन्होंने मेरे अकाउंट में पैसे ट्रांसफर कराए थे. मैंने पैसे वापस कर दिया है.

 

मामले में इलाके के एडीसीपी बृजेंद्र द्विवेदी का कहना है उनके डूबने की सूचना पर पुलिस मौके पर आई है. हम देर रात तक उनको तलाशते रहे लेकिन पता नहीं चला है. अभी सुबह से फिर उनको तलाशने का अभियान चलाया जा रहा है. इधर इलाके में अब इस बात की चर्चा हो रही है कि जब इतने बड़े अधिकारी को गंगा के किनारे बचाने के लिए गोताखोर 10000 रुपये मांगते रहे और उनकी मौत हो गई. ऐसे में लोगों ने पुलिस प्रशासन पर भी सवाल उठाया है. लोगों का कहना है कि आखिर प्रशासन वहां पर गोताखोर क्यों नहीं रख रहा है.

 

*विदेश में हैं माता-पिता*……

 

आदित्य की बहन विदेश में है और उनके माता-पिता भी बहन के साथ ही हैं. आदित्य के भाई बिहार सरकार के सचिव अनुपम सिंह मौके पर आ गए हैं. वहीं, उनकी पत्नी सोमवार को पहुंचेंगी. आदित्य लखनऊ के इंदिरा नगर में रहते थे.

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