सीएमओ की अनदेखी से जिले में पनप रहा है झोलाछाप डाक्टरों का व्यापार
रिपोर्ट विकास तिवारी
ग्रामीण क्षेत्र के मरीजो की झोलाछाप डॉक्टरो के कारण जा रही है जान
दो वर्ष पूर्व जारी किया गया था आदेश
तीन वर्षो से स्वास्थ्य विभाग ने कोई मुकदमा नही कराया पंजीकृत
मिर्जापुर। ग्रामीण क्षेत्रो में झोलाछाप डॉक्टरों की डॉक्टरी गर्मी के मौसम में एकदम उफान पर रहता है। जिसकी जांच विभागीय स्तर पर लगातार किया जाता रहा है। इसके पूर्व शासनादेश को देखते हुए सीएमओ स्तर से एक आदेश जारी किया गया था कि जिले के निजी नर्सिगहोम व चिकित्सालय के संचालक मेन गेट पर चिकित्सालय के सभी कर्मचारी व डॉक्टरों की सूची को चस्पा करने का कार्य करेगे। इसके साथ ही विभाग की ओर से पिछले तीन वर्षो से झोलाछाप डाक्टरो पर आज तक कोई कार्यवाही नही किया गया है। जिससे सभी डॉक्टर अपने-अपने क्लीनिक में बैठ कर फर्जी तरीके से दवा देने वसूली करने का कार्य लगातार कर रहे है और विभाग के आदेशो की अवहेलना कर रहे है।
जहां एक तरफ सरकार करोड़ो रूपये खर्च करके खात्मे के लिए कमर कसी है वही विभाग की ओर से यदि कोई मामला मीडिया के माध्यम से सामने आता है तो विभाग के अधिकारी व कर्मचारी उसके लीपापोती करने मे लग जा रहे है। जिले में इससमय एक हजार से अधिक झोलाछाप डॉक्टर , पैथालाजी, क्लीनिक सेन्टर जिले के मड़िहान, पड़री , अहरौरा, लालगंज व हलिया के ग्रामीण क्षेत्रो में अपना पैर पसारते चले जा रहे है और विभाग हाथ पर हाथ रखे हुए है। इसके साथ ही प्रसवए सर्जरी के नाम पर बड़ी रकम को वसूलने का कार्य कर रहे है। चिकित्सालयों में दलालों के माध्यम से बहला फुसलाकर मरीजों को लाया जा रहा है। और उनसे धनउगाही काकार्य किया जा रहा है।
उन्होने बताया कि इस तरह मामले को देखते हुए विभाग द्वारा 90 चिकित्सालयों को आनलाइन आवेदन को निरस्त कर दिया गया है । जिन निजी चिकित्सालयों के बाहर अगर कर्मचारियों व डॉक्टरों की जानकारी नही मिली या झोलाछाप डॉक्टर के पास डिग्री नही पायी गई तो अब कार्यवाही करके जेल भेजने का कार्य किया जायेगा। लेकिन यह आदेश भी कागजो तक सीमित रहा जिसका श्रेय पाकर यह धड़ल्ले से गैर कानूनी तरीके से उपचार कर रहे है जिसका परिणाम मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।
अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉक्टर गुलाब कुमार वर्मा ने बताया कि इसके पूर्व भी अहरौरा, लालगंज क्षेत्र के कई मामलों में एक महिला जो छह माह की गर्भवती थी और उसका इलाज एक झोलाछाप कर रहा था। हालत बिगड़ी तो महिला के घरवालों के हाथण्पांव फूल गए और वे उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र ले आए। यदि उसे समय से सीएचसी परलाया जाता तो उसे बचाया जा सकता था। कोरोना काल से पहले अभियान चलाकर झोलाछाप डाक्टरों को जेल भेजा गया था। उसके बाद विभाग की ओर से कोई बड़ी कार्यवाही नही की गई यह अपने मे एक प्रश्न है।
जिला कार्यक्रम प्रबन्धक अजय सिंह ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से जनपद के सभी केन्द्रों पर तमाम सुविधाएं दी जा रही हैं जिससे क्षेत्र के मरीजों को किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े परन्तु झोलाछाप के वजह से वे केन्द्र तक नहीं पहुंच पाते हैं और उनकी मृत्यु भी हो जाती है।इसलिए अब स्वास्थ्य विभाग झोलाछाप डाक्टरों पर बडी कार्रवाई करने के लिए मुख्य चिकित्साधिकारी के आदेश मिलते ही विभाग की ओर बड़ी कार्यवाही की जायेगी।