*माँ विंध्यवासिनी का वार्षिक निकारी पूजन सकुशल संपन्न..*
रिपोर्ट विकास तिवारी
विंध्याचल। बुद्ध/गुरुवार की मध्य रात्रि में माँ विंध्यवासिनी का निकारी पूजन किया गया। प्रत्येक वर्ष वैशाख प्रतिपदा के दिन माँ विंध्यवासिनी दरबार में विशेष महापूजन का आयोजन किया जाता है।
अनादि काल से चली आ रही परंपरा के तहत श्री विंध्य पंडा समाज एवं भक्तों द्वारा सुबह में घटाभिषेक व रात्रि में महापूजन के पश्चात चौक प्रांगण में माँ विंध्यवासिनी के प्रतीक स्वरूप का पूजन किया गया।
मान्यता है कि नवरात्र में प्रति दिन देश के कोने कोने से भक्तों का तांता जगत जननी के दरबार में लगता है। ऐसे में साधना के दौरान साधक धाम में भूत-प्रेत, लंकिनी-डंकिनी व योगिनी-इत्यादि का आवाहन करते हैं। नवरात्र में साधना के दरमियान आई तमाम नकारात्मक ऊर्जाओं को समाप्त करने हेतु विशेष महापूजन होता है। धाम के सुद्धीकरण एवं सकारात्मक ऊर्जाओं से परिपूर्ण वातावरण के लिए ही विंध्य के पहाड़ियों पर निकारी पूजन की पूर्णाहुति होती है।
श्री विंध्य पंडा समाज के अध्यक्ष पंकज द्विवेदी, मंत्री भानु पाठक एवं सदस्य तेज बहादुर गिरी के मौजूदगी में तमाम सेवक व भक्तों ने रात्रि में कपाट बंद होने के पश्चात माँ का पूजन अर्चन कर पूरे विंध्य क्षेत्र की परिक्रमा की। जगह जगह देवी देवताओं का पूजन अर्चन करते हुए विंध्य पर्वत पर निकारी पूजन की पूर्णाहुति कर अनादिकाल की परंपरा को सकुशल संपन्न किया।
श्री विंध्य पंडा समाज के सदस्य शनिदत्त पाठक उर्फ़ गौरव ने बताया कि निकारी पूजन करके जहां दुष्ट आत्माओं का शमन किया जाता है वहीं योगिनी की विदाई की जाती है। उन्होंने कहा कि मंदिर का सुद्धीकरण करने से दुष्ट आत्माओं से मुक्ति और आपदाओं से छुटकारा मिलता है।
माँ विंध्यवासिनी धाम के पुरोहित हर्ष शुक्ला ने कहा की माँ के विशेष पूजन के बाद हम सभी माँ से प्रार्थना करते हैं कि लोगों में सकारात्मकता का संचार हो। आज-कल के युवा प्रदर्शन के बजाय दर्शन के भागी बनें व सोशल मीडिया की भक्ति के साथ सामाजिक भक्ति के अंग ज़रूर बने।