लखनऊ
ओमप्रकाश राजभर ने अपनी मां के निधन को लेकर मेदांता अस्पताल प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि अस्पताल ने उनसे 4 लाख रुपये लूट लिए। इस पर अब मेदांता अस्पताल लखनऊ की तरफ से सफाई दी गई है।
जानिए अस्पताल प्रशासन ने क्या कहा।
उत्तर प्रदेश कैबिनेट में मंत्री और सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर की मां का गुरुवार को निधन हो गया। उनकी मां का नाम जितना देवी था। 85 वर्ष की आयु में उन्होंने अंतिम सांस ली। जानकारी के मुताबिक ओमप्रकाश राजभर की मां फेफड़ें की बीमारी से पीड़ित थीं। इसी दौरान ओमप्रकाश राजभर ने लखनऊ के मेदांता अस्पताल पर आरोप लगाया था। उन्होंने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि चार दिन में अस्पताल ने उनसे 4 लाख रुपये ले लिए, लेकिन मेरी मां को होश तक नहीं आया। उन्होंने बताया कि जब उनकी मां को सांस की समस्या हुई तो उस दौरान वो बिहार में चुनाव प्रचार में लगे हुए थे।
मेदांता अस्पताल पर ओमप्रकाश राजभर ने लगाया आरोप
उन्होंने कहा कि मैंने बिहार से फोन करके घर पर एंबुलेंस भिजवाया। मेरे बेटे अरविंद और अरुण मां के साथ मौजूद थे। मैंने उन्हें कहा कि मां को अस्पताल में भर्ती करा देना। राजभर ने कहा कि एंबुलेंस में मां होश में बात करते हुए आई, लेकिन अस्पताल में बेहोस रही। चार दिन में कोई सुधार नहीं हुआ और अस्पताल प्रशासन के लोग जो हमारे जैसों को लूट रहे हैं तो गरीब को भी लूट रहे हैं। ओमप्रकाश राजभर के आरोपों पर अब मेदांता अस्पताल लखनऊ ने सफाई दी है। उन्होंने इस बाबत एक लेटर जारी करते हुए अपनी स्पष्टीकरण दी है। मेदांता अस्पताल ने दी सफाई
मेदांता अस्पताल ने लिखा कि कैबिनेट मंत्री ओपी राजभर जी की माता जी के निधन और उनके परिवार और माननीय मंत्री जी के प्रति अपनी गहरी संवेदना मेदांता अस्पताल व्यक्त करता है। उनकी माता जी के इलाज को लेकर उठे सवालों के विषय में हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि मंत्री जी कि 79 वर्षीय माता जी को 8 मार्च 2024 को रात 9.50 बजे अनियंत्रित मधुमेह, सांस लेने में तकलीफ, कम ऑक्सीजन, बुखार, भूख न लगना, उच्च रक्तचाप, और दोनों फेफड़ों में निमोनिया, द्विपक्षीय निमोनिया, जैसी समस्याओं और गंभीर लक्षणों के साथ हमारे आपातकाली विभाग में भर्ती कराया गया था। उनकी गंभीर स्थिति को देखते हुए उन्हें तुरंत आईसीयू में भर्तीय कराया गया।आरोपों को किया खारिज
अस्पताल प्रशासन ने आगे लिखा कि विशेषज्ञों ने अपनी टीम के साथ तुरंत 24 घंटों के अंदर ही इलाज शुरू कर दिया। इलाज के साथ परिवार से रोज बात की जाती थी और परिवार के सदस्यों को इलाज के बारे में बताया जाता ता। सात दिन बाद मंत्री जी की माता जी की हालत में उल्लेखनीय सुधार आ गया। तब परिवार ने उन्हें दूसरे अस्पताल में ले जाने की बात कही और उन्हें डिस्चार्ज करने को कहा। हमने परिवार के सदस्यों से मंत्री जी की माता जी को 8वें दिन यानी 15 मार्च की शाम 7.40 बजे डिस्चार्ज कर दिया, ताकि उनका इलाज परिवार के मुताबिक उचित जगह हो सके। मेदांता अस्पताल लापरवाही या गलत इलाज के किली भी आरोप को दृढ़ता से सम्मानपूर्वक नकारते हैं। यह इलाज के रिकॉर्ड से स्पष्ट है।