श्याम बिना जो आई अबकी होली मोहे रास न आई… होली पर कवि गोष्ठी हुई वासलीगंज में

RIPORT VIASH TIWARI

मिर्जापुर। होली पर्व पर लक्ष्मण प्रसाद की गली वासलीगंज स्थित केदारनाथ सविता के आवास पर कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसका संचालन डॉ सुधा सिंह ने किया।जाने-माने गजलकार गणेश गंभीर ने सुनाया – “राह उसूलों की पथरीली होती है, चलना है तो ताकत भी जिस्मानी रख।” नई कविता के सशक्त हस्ताक्षर भोलानाथ कुशवाहा ने पढ़ा – “मैं तारीफ करना चाहता हूँ तुम्हारी, जरूरी नहीं कि तुम्हारे रूप-सौंदर्य, यौवन की ही करूँ।” डॉ भुवनेश्वर द्विवेदी ने सुनाया – “मैंने न सीखा जग का तराना, चाहा हमेशा ही मुस्कुराना।” शुभम श्रीवास्तव ओम ने सुनाया – “चलते हैं अभी बाद में आयेंगे कभी और, मोहलत तुम्हारे वास्ते माँगेंगे कभी और।” केदार नाथ सविता ने सुनाया – “किसी के लिए राजनीति खेल है, खेल-खेल में दंगा करा देना, दंगे में अपना घर भर लेना भी खेल है।” डॉ सुधा सिंह ने सुनाया – “हे जग वालों सुनो जरा मैं तुझे सुनाने आई हूँ,आदि शक्ति है हर नारी मैं तुझे बताने आई हूँ।” आनंद अमित ने सुनाया – “बदला- बदला सा लगता है हाकिम का बरताव, कुछ ही दिन में आने वाला, होगा आम चुनाव.. जोगीरा स र र।” नंदिनी वर्मा ने सुनाया – “श्याम बिना आई जो अबकी, होली मोहे रास न आई। हूक उठी मन में विरहा की, कूके जब कोयल हरजाई।” श्याम अचल ने सुनाया – “टकराने और गिर जाने से डरता हूँ, मैं मिट्टी का वर्तन लेकर घूम रहा हूँ।” पूजा यादव ने सुनाया – “उनकी बातों में आना नहीं है,दिल हमें अब लगाना नहीं है।” सारिका चौरसिया ने सुनाया – “रंग गुलाब का है लाल, गुलाब गालों पर खिल रहा है। रंग अंगारों का दहकता लाल, राख कोयले की कर रहा है।” रंजना सिंह ने सुनाया -“मेरा यह आग्रह सभी से कि अपना मतदान करें, और योग्य जन प्रतिनिधि चुने।” अंत मैं आनंद अमित ने आभार व्यक्त किया।

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