जगद्गुरु रामानंदाचार्य प्राकट्य महोत्सव – सातवां दिन

रोहित सेठ

श्री राम मंदिर गुरुधाम वाराणसी में समायोजित श्री मद आद्यजगदगुरू श्री रामानंदाचार्य जी के ७२४वें प्राकट्य महोत्सव के उपलक्ष्य में समायोजित नवदिवसीय श्री राम कथा के सातवें दिवस में श्रीमद् जगतगुरु अनंतानंद पद प्रतिष्ठित स्वामी डॉ राम कमल दास वेदांती जी महाराज जी ने कहा कि श्री रामचरितमानस के दो पक्ष हैं। राम जी की कथा में एक पक्ष लीला का है और दूसरे पक्ष में राम जी के चरित्र का दर्शन होता है। मनुष्य के जैसे प्रवृत्ति होती है उसे वैसे ही प्रसंग में आनंद आता है। श्रेष्ठ व्यक्ति जहां पहुंच जाता है वहां ही उत्सव का माहौल बन जाता है। महाराज श्री ने कहा कि भारत की भूमि देवभूमि है, धर्म की भूमि है । यहां धर्म का पालन करने वाले ही सदा सुखी रहते हैं और अधर्म पथ पर चलने वाले लोगों को दुख भोगने ही पड़ते हैं।
हमारी संस्कृति धर्म पर आधारित है जैसे तैसे नहीं चलती है। धर्म और परंपराओं का सब विधि से पालन होना चाहिए और तभी समाज का कल्याण संभव है।
मनुष्य मात्र की दिमागी कसरत है जाति-पाती का भेद। भगवान ने कभी भी, कहीं भी जात-पात भेद को बढ़ावा देने की बात नहीं करी है। श्रीरामचरितमानस में इस बात का बार-बार प्रमाण आया है। भगवान ने केवट जी, शबरी जी और निषाद जी को जो सौभाग्य प्रदान किया वह अपने आप में यह बताने के लिए पर्याप्त है कि भगवान कभी भी भक्तों में जात-पात का भेद नहीं देखना चाहते हैं।
श्री राम विवाह के बाद के कथा प्रसंगों का गायन करते हुए कहा कि देश में जाति पाती का झगड़ा झमेला राजनीतिक दलों की देन है। महाराज श्री ने कहा कि लोग इस समय राम राज्य की स्थापना की बात कर रहे हैं और मैं भी भारत में राम राज्य की स्थापना के पक्ष में हूं। जरूर रामराज की स्थापना होनी चाहिए। लेकिन, सबसे पहले यह हमारे अपने घरों में होनी चाहिए। जब हम स्वयं सदग्रंथों के आश्रय में धर्म आचरण करते हुए जीवन जिएंगे तो हमारे खुद के भीतर और परिवार में राम राज्य की स्थापना होगी तो समाज में भी रामराज की स्थापना होगी।
आज प्रातः में काशीपीठाधीश्वर स्वामी डॉ रामकमल दास वेदांती व विशिष्ट संतो की उपस्थिति में जगतगुरु रामानंदाचार्य पर संस्कृत एवं हिंदी में संभाषण व सूत्र अंताक्षरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इसमें नगर के अनेकों विद्यालयों के काफी संख्या में छात्र-छात्राओं ने भाग लेकर रामानंदाचार्य के कृतित्व व व्यक्तित्व पर अपने-अपने संभाषण प्रस्तुत किये।विद्वान प्रोफेसर धनंजय पांडेय, सिद्धिदात्री भारद्वाज,कृष्ण गोपाल पांडेय की देखरेख में चले प्रतियोगिता में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्रों कृष्णप्रिया शिवराम दास प्रशांत मिश्रा गार्गी शुक्ला महिमा तिवारी आयुष्का सहित अन्य छात्रों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर वेदांती ने कहा कि जगद्गुरु रामानंदाचार्य राम के अवतार थे।वे तथा उनके शिष्यों संत कबीर रैदास सहित अन्य संतो ने रामानंद परंपरा के माध्यम से समाज में ऊंच-नीच व भेद-भाव को दूर कर धर्म कर्म ज्ञान भक्ति की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए इससे जन जन को जोड़ने का प्रयास किया। आज यह परम्परा तेजी से आगे बढ़ रहा है। इस अवसर पर बालक दास सर्वेश्वर शरण सियाराम दास अवध बिहारी स्वामी सर्वेश दास गोविंद दास सहित अनेक संत समाज व विशिष्ट लोग उपस्थित थे।

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