स्वामी विवेकानंद का जीवन ही युवाओं का आदर्श

स्वामी विवेकानंद का जीवन ही युवाओं का आदर्श

रोहित सेठ वाराणसी

विवेकानंद के आदर्शों पर खड़ा हो रहा नया भारत

 

वाराणसी।। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के मदन मोहन मालवीय हिंदी पत्रकारिता संस्थान की ओर से स्वामी विवेकानंद की जयंती के उपलक्ष्य में एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ भारत माता और स्वामी विवेकानंद के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन के साथ हुआ।
कार्यक्रम में अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ वशिष्ठ नारायण ने राष्ट्र के गौरव के रूप में स्वामी विवेकानंद जी को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि आज प्रत्येक युवाओं को अपने आदर्श के रूप में स्वामी विवेकानंद जी को देखना चाहिए। जिन्होंने समग्र राष्ट्र को आपसी एकता का सन्देश दिया। उन्होंने अमेरिका के शिकागो जैसे स्थान पर विश्व धर्म सम्मेलन में भारत के प्रतिनिधि में रूप में अपना भाषण दिया और समूचे भारत को विश्व गुरु के रूप में पुनः स्थापित किया। इसी कड़ी में मुख्य वक्ता डॉ नागेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि स्वामी विवेकानंद जी का जीवन ही आज के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है। उनके जीवन मूल्य और अपने राष्ट्र एवं समूचे विश्व को लेकर अपनत्व की भावना ही हम सभी को बहुत कुछ सिखाती है। स्वामी जी ने शिकागो में दिए भाषण की शुरुआत ही ‘मेरे अमेरिकी भाइयों एवं बहनो’ के साथ की थी। ये पहला सम्बोधन ही यह दर्शाता है कि स्वामी जी भारतीय संस्कृति ‘वसुधैव कुटुंबकम’ को लेकर कितने सजग थे और किस तरह से ये उनके जीवन शैली में रचि-बसी थी। कार्यक्रम की अगली कड़ी में डॉ आनंद कुमार सिंह ने विशिष्ट अतिथि के रूप में कहा कि विवेकान्द जी ने बहुत कम उम्र में पूरे देश के लिए अद्वितीय कार्य किया। ख़ासकर युवाओं के लिए उन्होंने एक रास्ता दिखाया। विवेकानंद का जीवन ही युवाओं के लिए अनुकरणीय है। युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत स्वरूप स्वामी विवेकानंद जी थे और वे सदैव रहेंगे। उन्होंने आगे कहा कि स्वामी जी आधुनिक भारत के बीजक हैं, जिनके आदर्श एवं मूल्यों पर नया भारत खड़ा हो रहा है। कार्यक्रम का संचालन विदुषी एवं अनमोल और धन्यवाद ज्ञापन मो० जावेद ने किया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से डॉ. दयानन्द, डॉ. जिनेश, मंगलम तिवारी एवं साक्षी शुक्ला, अंकिता, अदिति, आस्था, संस्कृति, वंदना, सौम्या, प्रियांशु, आशुतोष त्रिपाठी, अनिमेष, रुद्रकांत, सतीश, विशाल, पंकज, आदि छात्र -छात्राएं मजूद थे।

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