स्वामी विवेकानंद जयंती पर राष्ट्रीय युवा महोत्सव के रूप मे सप्ताह व्यापी कार्यक्रम का उद्घाटन—-
रोहित सेठ वाराणसी
स्वामी विवेकानंद जी के जीवन मूल्यों से प्रेरणा लेकर युवा देश के नव निर्माण में भागीदार बनें।– कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा।
स्वामी विवेकानंद निर्भीक भाव से वे बंधनों से पूरी तरह मुक्त थे। वे कहते थे कि मेरे बच्चों, हमें चाहिए लोहे जैसी मांसपेशियां और फौलाद जैसा स्नायु। जिसमें वज्र सा मन निवास करे। स्वामी जी कहते थे कि ‘उठो और जागो और तब तक रुको नहीं, जब तक कि तुम अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर लेते।’ आज युवा दिवस के मौके पर हम सभी न सिर्फ उन्हें याद कर श्रद्धांजिल दें, बल्कि हम उनके दिए ज्ञान,विचारों व उनके चरित्र को अपने जीवन में भी उतारें और विकसित भारत के लिये योगदान दें। उनके
जीवन मूल्यों से प्रेरणा लेकर युवा देश के नव निर्माण में भागीदार बनें।उक्त विचार सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में आज अपरान्ह 2:00 बजे स्वामी विवेकानंद जयंती के अवसर पर आयोजित “राष्ट्रीय युवा महोत्सव” के उद्घाटन में बतौर मुखिया कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने विश्वविद्यालय परिवार को अपने संबोधन में व्यक्त किया।
स्वामी विवेकानंद जी के द्वारा भारत और भारतीय संस्कृति को दुनियाभर में पहचान मिली।– प्रो दिनेश कुमार गर्ग..
राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक प्रो दिनेश कुमार गर्ग ने बतौर अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि आज हम यहां महान चिंतक, दार्शनिक, युवा संन्यासी, युवाओं के प्रेरणास्त्रोत और एक आदर्श व्यक्तित्व के धनी स्वामी विवेकानंद की जयंती मनाने के लिए जुटे हैं। स्वामी विवेकानंद ने ही वेदांत और भारतीय दर्शन का प्रचार प्रसार उस समय किया, जब पश्चिमी देशों की नजर में भारत पिछड़े देश में जाना जाता था। उन्होंने भारत के अध्यात्मवाद से दुनिया को परिचित कराया और भारत का मस्तक विदेशों में ऊंचा किया। पश्चिमी देशों को वेदांत व भारतीय दर्शन के बारे में बताने के लिए उन्होंने अमेरिका की धर्म संसद में भाग लिया। साल 1893 में शिकागो की धर्म सभा में उनके भाषण दुनिया को हिलाकर रख दिया। स्वामी विवेकानंद ने अपना भाषण ‘अमेरिका के भाईयों और बहनों’ के संबोधन से शुरू किया तो पूरे दो मिनट तक सदन तालियों की आवाज से गूंजता रहा। उस दिन से भारत और भारतीय संस्कृति को दुनियाभर में पहचान मिली। सिर्फ 30 साल के विवेकानंद ने हिंदुत्व के नजरिए से दुनिया को भाइचारे का पाठ पढ़ाया था। इस युवा संन्यासी के धर्म संसद में दिए गए भाषण से पूरी दुनिया मंत्र मुग्ध हो गई थी।पुनः मैं भारत के महान आध्यात्मिक गुरु को नमन करता हूं और श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। आज देश में स्वामी विवेकानंद की जयंती के साथ साथ राष्ट्रीय युवा दिवस भी मनाया जा रहा है। दरअसल स्वामी विवेकानंद के विचारों, उनकी दी गईं शिक्षाओं से करोड़ों युवा प्रेरित होते हैं। स्वामी विवेकानंद की कही गई बातें युवाओं में जोश भरने का काम करती हैं। विवेकानंद की ओजस्वी वाणी, ओजपूर्ण विचारों ने सुप्त लोगों को जागृत किया। उनकी युवावस्था देश के हर युवा के लिए एक बेहतरीन मिसाल है।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में–
मंगलाचरण- वैदिक एवं पौराणिक।
चित्र पर माल्यार्पण–
मंच पर आसीन अतिथियों के द्वारा माँ सरस्वती जी एवं स्वामी विवेकानंद जी के चित्र पर माल्यार्पण नमन किया गया।
स्वागत भाषण एवं
संचालन– प्रो विद्या कुमारी चंद्रा ने संचालन एवं स्वागत भाषण के माध्यम से युवाओं को स्वामी विवेकानंद जी के व्यक्तित्व को आत्मसात करने का मार्गदर्शन दिया।
राष्ट्रीय सेवा योजना के इकाई द्वारा युवा महोत्सव कार्यक्रम के लिये लिया संकल्प–
राष्ट्रीय सेवा योजना विश्वविद्यालय इकाई के सभी कार्यक्रम अधिकारियों के द्वारा युवा महोत्सव के अंतर्गत साप्ताहिक कार्यक्रम को क्रियान्वित करने का संकल्प लिया गया है।
धन्यवाद ज्ञापन डॉ विजेंद्र कुमार आर्य.
उपस्थित ज़न- प्रो विद्या कुमारी, डॉ कुंज बिहारी द्विवेदी, डॉ विजेंद्र कुमार आर्य,,राष्ट्रीय स्वंय सेवक एवं अन्य विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया।