भारतीय ज्ञान परंपरा के व्याख्याता डॉ मृगेंद्र विनोद का कुलपति ने किया सम्मान
रोहित सेठ
सरस्वती नदी एवं दृषद्वती नदी का उदगम, परिचय तथा मार्ग से संबंधित तथ्य, वैदिक परिमाणों (योजन, कोश, गव्यूति, आश्विन) वेदों में विमानशास्त्र उक्त विचार संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के भारतीय ज्ञान परंपरा केंद्र में हो रहे शिल्पशास्त्र व्याख्यान माला के अवसर पर डॉक्टर मृगेंद्र विनोद ने किया।
डॉ विनोद ने कहा कि वैदिकमध्वपरिमाणम् (सारस्वतसत्रसंदर्भ) सत्र मे वैदिक सूक्तो में सरस्वती नदी का वर्णन उसकी महिमा, प्रासंगिकता तथा मार्गों का स्वरूप दूरी मापने के लिए वैदिक शब्दों का प्रयोग,प्राचीन काल के मानचित्र के द्वारा वैदिक मन्त्रों को उधृत कर अवगत कराया।
कुलपति महोदय जी द्वारा उत्तरीय वस्त्र प्रदान कर डॉक्टर मृगेंद्र विनोद को सम्मानित किया गया।
स्वागत करते हुए प्रोफेसर हरिप्रसाद अधिकारी ने बताया कि आज संस्कृति व परंपरा की रक्षा करना मानव का मूल उद्देश्य होना चाहिए, क्योंकि संस्कृति का लुप्त होना स्वयं का लुप्त होना है। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. ज्ञानेंद्र सापकोटा एवं सत्र का संचालन डॉ. मधुसूदन मिश्र ने किया। इस व्याख्यान में डॉक्टर जयंत पति त्रिपाठी, डॉक्टर आशीष मणि त्रिपाठी डॉ. शांति मिश्रा, डॉ. वेद प्रकाश गौतम एवं श्री विवेक साखी सहित प्रशिक्षु भी उपस्थित रहे।