पुलिस आयुक्त को प्रार्थना पत्र देने के बावजूद नहीं हो रही है ।कार्रवाई सिर्फ मिल रहा हैं आश्वासन !
रिपोर्ट रोहित सेठ Varanasi
प्रार्थिनी के बड़े ससुर स्व० मार्कण्डेय सिंह ने अपने जीवनकाल में दिनांक 18.05.2011 ई० को अपनी सम्पत्ति मकान नं०-एस. 2/326 ई-1 राजर्षिनगर, गिलट बाजार, सिकरौल, वाराणसी का प्रार्थिनी के हक में वाकायदा वसीयत किया है और मार्कण्डेय सिंह का दिनांक 22.05.2011 ई० को स्वर्गवास हो गया है और प्रार्थिनी तभी से मकान उपरोक्त को बहैसियत मकान मालिक उपयोग-उपभोग करती चली आ रही है। जिसकी वखुबी जानकारी सत्यप्रकाश शर्मा को है।
प्रार्थिनी वंदना सिंह के जेठ सत्यप्रकाश शर्मा जो निहायत फितरती चालाबाज एवं बेईमान किस्म का व्यक्ति है और उसके एवं उसके लड़के अमित कुमार सिंह के ऊपर गैरजमानती एवं संगीन धाराओं में कई एफ०आई०आर० भी दर्ज है। प्रार्थिनी को वाकयादा पक्षकार बनाकर प्रार्थिनी के बड़े ससुर स्व० मार्कण्डेय सिंह के भाई जटाशंकर सिंह को बुढ़ापे में बहकाकर जिलाधिकारी वाराणसी के यहाँ घर से बेदखल करने के लिये प्रार्थना-पत्र दिलवाया। वावजूद इसके जिलाधिकारी महोदय ने प्रार्थिनी के विरुद्ध बेदखली कां कोई आदेश पारित नहीं किया जिसे रिट पेटिशन सं0-12221 सन् 2021 ई० में पारित आदेश दिनांक 02.08.2021 ई० में भी माननीय हाईकोर्ट ने
हस्तक्षेप योग्य नही माना . जिलाधिकारी महोदय से लेकर माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद तक प्रार्थिनी के विरुद्ध बेदखली आदेश प्राप्त न कर पाने की हताशा में दिनांक 14.09.2021 ई0 को सुबह 9:00 बजे मेरे उपरोक्त मकान चन्दना भवन पर सत्यप्रकाश शर्मा 5-6 लोगों के साथ चढ़ आये और मुझे जबरजस्ती बेदखल करके मेरी सम्पत्ति का बैनामा गुण्डों को करने एवं प्रार्थिनी को प्रार्थिनी के चारों बच्चों सहित निकालने की धमकी देनें लगे और प्रार्थिनी द्वारा विपक्षी से पूछने पर कि विपक्षी मेरी सम्पत्ति की मालिक कैसे बने यह पूछने पर एल०ओ०ए० वाद संख्या 35/2016 ई० सत्यप्रकाश शर्मा … बनाम्… जटाशंकर सिंह वगैरह की फोटो कापी दिखाने लगे जिसकी जानकारी होने पर प्रार्थिनी व प्रार्थिनी के पति शिवप्रकाश सिंह उसके द्वारा मार्कण्डेय सिंह की फर्जी वसीयत के आधार पर किये गये फर्जीवाड़े को देखकर आश्वर्यचकित एवं दंग रह गयें और उसी दिन उपरोक्त मुकदमे और आदेश की नकल के लिये प्रार्थना-पन्न दिये और पत्रावली की खोजबीन किये तत्पश्चात् यह जानकार आश्चर्यचकित रह गये कि सत्यप्रकाश शर्मा ने मार्कण्डेय सिंह की मृत्यु दिनांक 22,05.2011 ई० के बाद उनकी फर्जी वसीयत बिल्कुल जाली हस्ताक्षर द्वारा तैयार किया है जिसमें मेरे पति को भी वसीयत में आधे हिस्से का हिस्सेदार बना दिया है ताकि उसके द्वारा तैयार की गयी वसीयत फर्जी एवं कूटरचित होने के सन्दर्भ में शंका न करें मार्कण्डेय सिंह में फर्जी एवं कूटरचित वसीयत के आधार पर जिसके मारकंडेय सिंह का जो हस्ताक्षर है यह रीगल असली हस्ताक्षर से किसी भी प्रकार मेल नहीं खाता है) मेरी सम्पति का आधा मालिक बताकर गुण्डई पूर्वक मेरे मकान को बेचने की धमकी दे रहा है उसके फर्जी वसीयत के सन्दर्भ में मुझे जैसे ही जानकारी हुई मैने सिविल न्यायालय में उसके द्वारा फर्जी तरीके ही लिये गये आदेश के सन्दर्भ में कानूनी कार्यवाही शुरु कर दिया एवं उसी सन्दर्भ के साथ-साथ आपराधिक कार्यवाही किया जाना भी विधिसंगत होने के कारण प्रार्थिनी द्वारा इस प्रार्थना-पत्र को दिये जाने की बाध्यता पैदा हो गयी है।