रोहित सेठ
संस्कृत में ही भारत का गौरव निहित है न्यायाधीश श्री संजय करोल।
अयं निज: परोवेति गणना लघु चेतसाम्।
उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुंबकम्।।
इस उदार भाव को समाज में स्थापित करने का कार्य संस्कृत साहित्य के माध्यम से हो सकता है। संपूर्ण विश्व को एक परिवार के रूप में स्थापित करने का कार्य यदि कोई भाषा कर सकती है तो वह संस्कृत भाषा है। संस्कृत में ही भारत का गौरव निहित है, संस्कृत के माध्यम से ही एक उत्तम शिक्षा, स्वास्थ्य, न्याय व राज्य व्यवस्था की कल्पना तथा सत्य की रक्षा की जा सकती है।उक्त विचार सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी में स्थित कुलपति आवास पर देश के सर्वोच्च न्यायालय(भारत)के न्यायाधीश श्रीयुत संजय करोल जी ने अभिभूत होकर व्यक्त किया।
न्यायमूर्ति श्री संजय करोल ने कहा कि यहां से प्राच्यविद्या का संरक्षण एवं संवर्धन हो रहा है।यह अत्यंत गौरव और पूज्य स्थल है।
न्यायमूर्ति श्री संजय करोल का जन्म(जन्म 23 अगस्त 1961) हिमाचल की राजधानी शिमला में हुआ था। वर्तमान में भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश श्री संजय करोल ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से कानून की उपाधि प्राप्त कर 1983 में एक वकील के रूप में नामांकित होकर विभिन्न अदालतों में अभ्यास किया।उन्हें हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश,त्रिपुरा उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश तथा
पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य करते हुए फरवरी 2023 से सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप कार्यरत हैं।
कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने परिसर स्थित अपने आवास पर सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश श्रीयुत संजय करोल जी का उत्तरीय प्रदान कर उनका अभिनन्दन किया ।